गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने हेतु देरी अब असहनीय-ज्योतिषपीठ शंकराचार्य

Delay in declaring cow as the mother of the nation is now intolerable- Jyotishpeeth Shankaracharya
Delay in declaring cow as the mother of the nation is now intolerable- Jyotishpeeth Shankaracharya

तीर्थराज प्रयाग की इस पावन भूमि में कुम्भ महापर्व का आयोजन ३२४ कुण्डीय पञ्चायतन श्री गौ-प्रतिष्ठा महायज्ञ और परमधर्मसंसद् के सफल आयोजन के साथ अब पूर्णता की ओर है।

-ज्योतिषपीठ शंकराचार्य

१७ मार्च होगा गौ प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस –


भारत की धरती पर गौमाता का रक्त बहे; यह हम सभी सनातनी गौभक्तों के माथे पर एक बड़ा कलङ्क है। जब देश में दूसरे दलों की सत्ता थी तो उनसे आशा नहीं की जा सकती थी परन्तु अब जब देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं की सत्ता पिछले दस वर्षों से है तो ऐसे में इनसे आशा हो जाना स्वाभाविक है। हमारे द्वारा गौ माता के लिए किया जा रहा यह आन्दोलन कोई नया नहीं है। वर्ष 1966 में धर्मसम्राट् स्वामी श्री करपात्री जी महाराज पर गोली चलने के बाद जो आन्दोलन रुक गया था उसी को पुनः गति देने का प्रयास सभी हिन्दुओं सहित देश के अन्य पीठों के शङ्कराचार्यों की भी दृढ भावना होने के कारण हम कर रहे हैं। गाय को अघ्न्या कहा गया है अर्थात् गाय की हत्या किसी भी दशा में नहीं की जा सकती। ऐसे में केन्द्र सरकार द्वारा भारत की धरती से गौमांस का निर्यात् हम सभी गौभक्तों के मन को अत्यन्त पीड़ा पहुँचा रहा है।


विगत 20 नवंबर 2023 से पूज्य गोपाल मणि जी के संयोजन में भारतीय गौ क्रांति मंच द्वारा गो प्रतिष्ठा आंदोलन पुनः आरम्भ हुआ जिसे चारो हम जगद्गुरू शंकराचार्य पीठों के आचार्यों का आशीर्वाद एवं समर्थन प्राप्त हुआ तथा द्वारा अब यह आंदोलन चल रहा है जिसके अंतर्गत 3 गो संसद का आयोजन कर रामा गो प्रतिष्ठा संहिता बिल सहित 42 बिन्दु के प्रस्ताव पारित हुए, दिनांक 14 मार्च से 28 मार्च 2024 तक नंगे पैर पदयात्रा गोवर्धन से दिल्ली तक आयोजित हुई, सम्पूर्ण भारत में गो ध्वज स्थापना भारत यात्रा दिनांक 22 सितंबर से 27 अक्टूबर तक हो चुकी है जो भारत के समस्त 36 प्रदेशों की राजधानियों तक गई जहां गो ध्वज की स्थापना की गई। पर सुनवाई न होने से अब गौभक्तों की पीड़ा असहनीय हो गई है।


अतः अब सनातन धर्म के सभी गौभक्त सन्तों से चर्चा के उपरान्त यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र सरकार को अंतिम अवसर प्रदान कर 17 मार्च 2025 तक प्रतीक्षा कर रहे है कि वह गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने, गो हत्या बंद करने के कार्य को पूरा करे अन्यथा 20 नवंबर 2023 से 17 मार्च 2025 यानी लगभग ५०० दिन की प्रतीक्षा के बाद भी यदि केंद्र सरकार गौमाता पर हिंदू धर्म आस्था को गौण कर उदासीन बनी है रहेगी तो एक बड़ा निर्णय ‘ गो प्रतिष्ठा निर्णय दिवस ‘ के दिन लिया जाएगा .

जो गौमाता के हित में एक मील का पत्थर साबित होगा। आगामी 17 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक गौ-प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस का आयोजन प्रातः 7 बजे से सायं 5 बजे तक किया जाएगा। इस एक दिवसीय आयोजन में हम स्वयं उपस्थित रहेंगे। यह केन्द्र सरकार के लिए अन्तिम अवसर होगा कि वह उस दिन गौमाता के सन्दर्भ में अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रकट करे। भारत बहुसंख्यक हिन्दुओं का देश है इसलिए बहुसंख्यक हिन्दुओं की भावना का ध्यान रखना और तदनुकूल कार्य करना केन्द्र सरकार का दायित्व भी है।


गाय को पाठ्यक्रम में माता रूप में पढाए, न कि पशु –


हाल ही में यह सूचना प्राप्त हुई है कि उत्तर प्रदेश की सरकार पाठ्यक्रम में गाय के विषय की स्थापित करने पर विचार कर रही है। हम उनके इस कार्य की सराहना तब कर सकते हैं जब वे हमारे बच्चों को यह पढाए कि गाय पशु नहीं, माता है। अभी केन्द्र और राज्य सरकारों ने गाय को पशु सूची में रखा है जबकि हमारे धर्मशास्त्र “पशवो न गावः” कहकर गाय को पशु कहने का स्पष्ट निषेध करते हैं। ऐसे में यदि बच्चे गाय को पशु ही पढेंगे तो भविष्य में भारत के बच्चे गाय को माता का सम्मान कैसे दे पाएंगे? इसलिए हमारा कहना है कि पहले मुख्यमन्त्री आदित्यनाथ योगी जी गाय को उत्तर प्रदेश की राज्यमाता घोषित करें और उसके बाद ही पाठ्यक्रम में गाय का पाठ सम्मिलित करें।


गङ्गाजल के साथ होगी गौरक्षा के लिए गो प्रतिष्ठा अनुस्मारक यात्रा –


कुम्भ का अमृत जल और गौ प्रतिष्ठा महायज्ञ की भस्म लेकर आगामी दिनाङ्क १२ फरवरी २०२५ को गौभक्त श्री सचिन जी के नेतृत्व में एक पदयात्रा विभिन्न स्थानों पर होते हुए १७ मार्च गो प्रतिष्ठा निर्णायक दिवस पर दिल्ली पहुँचेगी। इस यात्रा का उद्देश्य जन-जन तक गौरक्षा के लिए जनजागृति लाना और निर्णायक दिवस की बात का प्रतिदिन स्मरण कराना है।


सनातन संरक्षण परिषद् (बोर्ड) का गठन-


लम्बे समय से यह मॉंग प्रत्येक सनातनियों द्वारा उठाई जाती रही है कि हिन्दुओं के धर्मस्थलों पर से सरकारी कब्जा हटे और इसे धर्मशास्त्र जानने वाले धर्माचार्यों का संरक्षण प्राप्त हो। इस हेतु हमारे परमधर्मसंसद् से धर्मादेश भी विगत माघ कृष्ण चतुर्दशी तदनुसार दिनाङ्क 28 जनवरी 2025 को जारी हुआ जिस पर हमारे सहित अन्य दो पीठों द्वारका शारदापीठ और श्रृंगेरी शारदापीठ के जगद्गुरु शङ्कराचार्य महाराज ने भी हस्ताक्षर कर अपनी सहमति प्रदान की है।

अतः हम यह चाहते हैं कि इस सनातन संरक्षण परिषद् का औपचारिक गठन कर देश के सभी हिन्दू धर्मस्थलों पर कार्य आरम्भ हो। इस हेतु कश्मीरी पं श्री विवेक कौल जी को हमने संयोजक बनाया है और वे इस दिशा में निरन्तर कार्य कर रहे हैं। हमने इस सन्दर्भ का एक पत्र हमारे देश के प्रधानमन्त्री जी को भी भेजा है जिससे वे हिन्दू जनभावना से भी विज्ञ हो सकें।


भगवान हंस की आविर्भाव स्थली का दर्शन न कर पाने का रहेगा मलाल –


हमारे भगवान विष्णु के २४ अवतारों में से एक श्रीहंसावतार की आविर्भाव स्थली होने का गौरव प्रयाग को उसी तरह प्राप्त है जैसे अयोध्या को श्रीराम और मथुरा को श्रीकृष्ण की जन्मस्थली होने का। परन्तु अज्ञात कारणों से प्रयाग के झूँसी स्थित श्रीहंसावतार स्थली के दर्शन से श्रद्धालुओं को वंचित कर दिया गया है। प्रशासन भी इसमें लाचार दिखाई दे रहा है। यदि श्रद्धालुओं के लिए उस पवित्र स्थल को समस्त हिन्दुओं के लिए नहीं खोला जाता है तो भविष्य में अयोध्या मथुरा जैसा आन्दोलन प्रयाग में भी होगा।


आज दोपहर फिल्म दुनिया के अभिनेता आषुतोष राणा ने जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज का दर्शन प्राप्त किया। उक्त जानकारी शंकराचार्य जी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने दी है

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