डेंगू का तोड़ा आठ साल का रिकार्ड , अब तक 25800 मरीज मिले
लखनऊ । कोरोना का कहर अभी थमा ही था कि यूपी में लोगों को डेंगू ने दशहत में डाल दिया है। मामले इतने आ रहे हैं कि इसने बीते आठ सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक प्रदेश में 25 हजार 800 डेंगू केस मिल चुके हैं जो पिछले साल से आठ गुना अधिक है।
सबसे ज्यादा 5700 मामले फिरोजाबाद में मिले हैं, जबकि राजधानी लखनऊ दूसरे स्थान पर है। हालांकि अच्छी बात यह है कि मौतों का आंकड़ा बेहद कम है और बेड के लिए कहीं भी मारामारी जैसी स्थिति नहीं है।
सरकारी रिकॉर्ड में डेंगू से प्रदेश में अब तक आठ लोगों की मौत हुई है। फिरोजाबाद में सबसे ज्यादा पांच की जान जा चुकी है जबकि प्रयागराज, वाराणसी और गाजियाबाद में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। हालांकि वास्तविक संख्या इससे अधिक बताई जा रही है।
प्रयागराज में कहर की स्थिति
बात दे कि प्रयागराज में डेंगू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। 19 जुलाई को पहला मरीज मिलने के बाद अब तक 926 मरीज जिले में मिल चुके हैं। शहर में बीमारी का प्रकोप अधिक है जिसके चलते 671 व ग्रामीण इलाकों में 255 मरीज सामने आए हैं।
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की लैब में हो रही एलाइजा जांच को ही मान्यता दे रहा है जबकि निजी हॉस्पिटल में बड़े स्तर पर रैपिड किट से डेंगू की पुष्टि की जा रही है। विभाग के कीटनाशक छिड़काव अभियान पर भी सवाल उठ रहे हैं। शहर के कई मोहल्लों में लगातार मरीज मिल रहे हैं।
बरेली में कहर की स्थिति
डेंगू ने इस साल बरेली में पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। जिले में इस सीजन में अबतक 517 मरीज मिल चुके हैं। इसमें से 9 की मौत हो चुकी है। अभी 22 रोगी जिला अस्पताल और 7 निजी अस्पतालों में भर्ती हैं।
हालांकि वास्तविकता में इनकी संख्या ज्यादा बताई जा रही है। जिले में वर्ष 2020 में 8 मरीज, 2019 में 264 और 2018 में 27 मरीज मिले थे। बदायूं में इस साल 456 लोग पॉजिटिव मिले हैं। एक की मौत हुई है। शाहजहांपुर में 306 मरीज मिले हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी सिर्फ आठ मरीज ही भर्ती हैं।
वहीं पीलीभीत में 206 मरीज मिले हैं और तीन की जान चली गई है। लखीमपुर में 33 मरीज मिले हैं। इसमें से नीमगांव व मोहम्मदी इलाके में दो रोगियों की मौत हुई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग डेंगू को मौत का कारण नहीं मान रहा।
लखनऊ में कहर की स्थिति
राजधानी में डेंगू के रिकॉर्ड 1936 मरीज मिल चुके हैं। हालांकि सरकारी दावों के अनुसार अबतक किसी की मौत नहीं हुई है। वर्ष 2019 में डेंगू के 885 व 2020 में 635 मरीज मिले थे। निजी अस्पतालों में सरकारी की तुलना में ज्यादा मरीज भर्ती हैं।
फैजुल्लागंज, चिनहट, दुबग्गा, मड़ियांव, सरोजनीनगर, अलीगंज, इंदिरानगर पारा, चिनहट व तेलीबाग इलाकों में संचालित निजी अस्पतालों में 80 फीसदी मरीज डेंगू एवं बुखार के भर्ती हैं। सरकारी अस्पतालों में सोमवार को 58 व निजी अस्पतालों में 300 से ज्यादा मरीज भर्ती थे।
दीपावाली से पहले राजधानी में रोजाना 30 से ज्यादा डेंगू के मरीज मिल रहे थे जबकि पिछले 10 दिनों से डेढ़ दर्जन के आस-पास ही रोजाना मरीज मिल रहे हैं। निजी अस्पतालों पर डेंगू के नाम पर बेवजह प्लेटलेट्स चढ़ाने और ज्यादा बिल वसूलने के भी आरोप लग रहे हैं।
सर्विलांस बेहतर,इसलिए ज्यादा मामले-स्वास्थ्य विभाग
सरकार और जिला प्रशासन डेंगू से निपटने के लिए मुस्तैद है और लगातार फॉगिंग, साफ-सफाई हो रही है। अस्पतालों में डेंगू के लिए अलग से बेड रिजर्व किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार र्सिवलांस का काम काफी तेजी से किया जा रहा है।
ज्यादा केस आने का कारण भी र्सिवलांस ही है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इससे पहले वर्ष 2015-16 में करीब 15 हजार केस मिले थे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 25 हजार का आंकड़ा पिछले सात-आठ सालों में सर्वाधिक है।
विभागीय अफसर बताते हैं कि मौसम की अनुकूलता, सॉलिड वेस्ट का ठीक ढंग से निस्तारण न होना डेंगू का सबसे बड़ा कारण है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 25 हजार का आंकड़ा पिछले सात-आठ सालों में सर्वाधिक है।
विभागीय अफसर बताते हैं कि मौसम की अनुकूलता, सॉलिड वेस्ट का ठीक ढंग से निस्तारण न होना डेंगू का सबसे बड़ा कारण है।