करवा चौथ Karva Chauth की रात: संभोग करना शुभ है या वर्जित? शास्त्रों की चेतावनी, महिलाओं के लिए जरूरी जानकारियां

करवा चौथ – वह त्योहार जो पति-पत्नी के अटूट बंधन, प्रेम और समर्पण की मिसाल है। 10 अक्टूबर 2025 को कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर लाखों सुहागिनें निर्जला व्रत रखेंगी, चंद्रमा के दर्शन के बाद पारण करेंगी।

लेकिन एक सवाल जो हर साल व्हिस्परिंग्स से लेकर सोशल मीडिया तक गूंजता है – करवा चौथ की रात पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनाना चाहिए या नहीं?

क्या शास्त्र इसे शुभ मानते हैं या व्रत की पवित्रता भंग करने वाला पाप? इस 1500 शब्दों के विस्तृत लेख में हम शास्त्रीय प्रमाण, धार्मिक मान्यताओं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, क्षेत्रीय विविधताओं और आधुनिक टिप्स के साथ इस रहस्य को खोलेंगे।

यदि आप भी इस पावन रात को और मजबूत बनाना चाहती हैं, तो अंत तक पढ़ें।

याद रखें, व्रत भावना का है, लेकिन नियमों का पालन फलदायी बनाता है।

करवा चौथ Karva Chauth का शास्त्रीय महत्व: संयम का प्रतीक

करवा चौथ की जड़ें प्राचीन हिंदू ग्रंथों में हैं। महाभारत में द्रौपदी की कथा प्रसिद्ध है, जहां श्रीकृष्ण ने पार्वती-शिव की लीला सुनाई, जिसमें संयम और तपस्या से पति की रक्षा हुई। स्कंद पुराण और पद्म पुराण में ‘करक चतुर्थी’ वर्णित है, जहां व्रत निर्जला होता है – सूर्योदय से चंद्रोदय तक जल, भोजन और इंद्रिय सुखों का त्याग।

लेकिन संभोग का जिक्र?

गरुड़ पुराण और ब्रह्म पुराण जैसे ग्रंथों में व्रत के दौरान ‘ब्रह्मचर्य पालन’ पर जोर है। व्यास नीति (ब्रह्म पुराण का भाग) में गृहस्थों के लिए निषिद्ध तिथियां बताई गई हैं – पूर्णिमा, अमावस्या, चतुर्दशी और अष्टमी।

चतुर्थी इनमें नहीं, लेकिन करवा चौथ जैसे विशेष व्रत में तपस्विनी नियम लागू होते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, व्रत की रात संभोग वर्जित है। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश चतुर्वेदी के अनुसार, “इस दिन महिला और पुरुष दोनों को पवित्र रहना पड़ता है। साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। इसमें किसी तरह के रिलेशनशिप की भी मनाही है।” कारण? व्रत पति की दीर्घायु के लिए तपस्या है, जहां मन, वचन और कर्म की शुचिता अनिवार्य है।

यदि संभोग होता है, तो व्रत की पूर्णता भंग हो जाती है, पुण्य फल नष्ट होता है। पुराणों में कहा गया है कि इंद्रिय संयम से ही दांपत्य सुख मिलता है, न कि क्षणिक सुख से।

एक कथा में वीरावती ने व्रत तोड़ा तो भाई की मृत्यु हुई – इसी तरह, संयम भंग करने से वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है।हालांकि, कुछ आधुनिक व्याख्याओं में इसे ‘प्रेम का उत्सव’ कहा जाता है।

लेकिन शास्त्रीय दृष्टि से, रात चंद्र दर्शन तक पवित्र रहें, उसके बाद भी संयम बेहतर।व्रत के नियम: सरगी से पारण तक संयम की भूमिकाकरवा चौथ का व्रत कठोर है – निर्जला, लेकिन सरगी से ऊर्जा मिलती है।

ब्रह्म मुहूर्त में मां या सास द्वारा दी जाने वाली सरगी में फल, मिठाई और पौष्टिक आहार होता है, लेकिन संयम का संदेश स्पष्ट है। शास्त्र कहते हैं, व्रत के दौरान ‘काम-क्रोध’ त्यागें।

चंद्रोदय (2025 में शाम 8:15 बजे) के बाद अर्घ्य देकर पारण करें – सात्विक भोजन जैसे खीर, फल। लेकिन रात के अंतरंग क्षण? ज्योतिष ग्रंथों में चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है, इसलिए उत्तेजना वर्जित।

पारण के बाद संभोग? शास्त्रों में ‘पारण रात्रि’ को भी पवित्र माना गया है।

मनु स्मृति में गृहस्थाश्रम के नियम हैं – व्रत रात्रि में ब्रह्मचर्य पालन। यदि किया भी जाए, तो अगले दिन स्नान-पूजा से प्रायश्चित।

लेकिन विशेषज्ञ सलाह: बचें, क्योंकि व्रत का फल दीर्घायु है, जो संयम से बढ़ता है।

एक अध्ययन दिखाता है कि उपवास के बाद हार्मोन असंतुलन होता है, जो अंतरंगता को प्रभावित कर सकता है।

स्वास्थ्य दृष्टि: मिथक vs वास्तविकता

आजकल सोशल मीडिया पर ‘रोमांस नाइट’ का ट्रेंड है, लेकिन विज्ञान क्या कहता है? निर्जला व्रत से डिहाइड्रेशन, थकान और हार्मोन (एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन) में कमी आती है, जो लिबिडो घटाती है।

लेकिन पारण के बाद संवेदनशीलता बढ़ सकती है – टच अधिक तीव्र लगता है।

डॉक्टरों के अनुसार, यदि स्वास्थ्य ठीक है, तो हल्की अंतरंगता ठीक, लेकिन जबरदस्ती से बचें।

आयुर्वेद में दिन में संभोग शुभ, लेकिन व्रत रात में संयम सुझाया गया है।

मिथक: ‘संभोग से व्रत टूट जाता है’ – नहीं, लेकिन पवित्रता प्रभावित होती है

। यदि डायबिटीज या हृदय रोग है, तो डॉक्टर से सलाह लें। सकारात्मक पक्ष: संयम से भावनात्मक बंधन मजबूत होता है।

क्षेत्रीय विविधताएं: विविध मान्यताएं

भारत की विविधता करवा चौथ को रंगीन बनाती है। उत्तर भारत (दिल्ली, पंजाब) में सख्त संयम – रात को चंद्र पूजा के बाद सो जाना शुभ।

राजस्थान में ‘करवा फेरना’ के बाद प्रेम गीत गाते हैं, लेकिन संभोग अगली सुबह।

दक्षिण भारत (तमिलनाडु) में गणेश चतुर्थी से जोड़कर मनाते हैं, जहां ब्रह्मचर्य अनिवार्य।

बंगाल में दुर्गा पूजा के संदर्भ में संयम।

कुछ आधुनिक क्षेत्रों (मुंबई, बैंगलोर) में ‘रोमांटिक डिनर’ ट्रेंड, जहां संभोग को बंधन मजबूत करने वाला माना जाता है। लेकिन शास्त्र आधारित परंपराओं में वर्जन प्रमुख।

आधुनिक जोड़ों के लिए टिप्स: संतुलन कैसे बनाएंआज की महिलाएं करियर और व्रत संभालती हैं। टिप्स:

  1. संचार: पति से खुलकर बात करें – व्रत की भावना समझाएं।
  2. भावनात्मक अंतरंगता: हग, किस, बातें – शारीरिक से बेहतर।
  3. स्वास्थ्य: पारण के बाद हल्का भोजन, हाइड्रेशन। ध्यान या योग से ऊर्जा।
  4. परिवार: सास-ससुर के साथ समय बिताएं, प्रेम फैलाएं।
  5. यदि करें: सहमति और आराम से, लेकिन शास्त्र सम्मान करें।

यदि संयम चुनें, तो अगले दिन विशेष रात्रि मनाएं।

निष्कर्ष:

संयम से अमर प्रेमशास्त्र स्पष्ट: करवा चौथ की रात संभोग वर्जित, ताकि तपस्या फलीभूत हो। लेकिन प्रेम का त्योहार होने से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाएं।

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