यहूदी समुदाय द्वारा खतना (ब्रित मिलाह) एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जो लगभग दस हज़ार साल पुरानी है

यहूदी समुदाय द्वारा खतना (ब्रित मिलाह) एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जो लगभग दस हज़ार साल पुरानी मानी जाती है। यह प्रथा यहूदी धर्म, संस्कृति और पहचान का एक अभिन्न अंग है, जिसे यहूदी समुदाय शांतिपूर्ण और निजी ढंग से निभाता है, बिना किसी बड़े प्रचार या हल्ले के।
इस लेख में हम खतना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, धार्मिक महत्व, सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम, चिकित्सीय दृष्टिकोण, और यहूदी समुदाय के इस संयमित रवैये पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
खतना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
खतना, जिसे हिब्रू में “ब्रित मिलाह” (अर्थात् “संनाद का समझौता”) कहा जाता है, यहूदी धर्म में एक पवित्र अनुष्ठान है। यह प्रथा बाइबिल के समय से, विशेष रूप से अब्राहम के काल से, चली आ रही है।
तौरात (जेनसिस 17:10-14) के अनुसार, ईश्वर ने अब्राहम से एक समझौता किया, जिसमें यह आदेश दिया गया कि उनके वंशजों के प्रत्येक पुरुष शिशु का जन्म के आठवें दिन खतना किया जाए।
यह समझौता यहूदी लोगों और ईश्वर के बीच एक शाश्वत बंधन का प्रतीक है।ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, खतना केवल यहूदी समुदाय तक सीमित नहीं था। प्राचीन मिस्र, कुछ अफ्रीकी और मध्य पूर्वी संस्कृतियों में भी खतना प्रचलित था, लेकिन यहूदी धर्म में इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता अद्वितीय है।
यह प्रथा यहूदी पहचान का एक ऐसा प्रतीक बन गई है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है, चाहे यहूदी समुदाय दुनिया के किसी भी कोने में हों।
धार्मिक महत्व
यहूदी धर्म में खतना केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और नैतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
ब्रित मिलाह को यहूदी समुदाय में एक पवित्र अनुष्ठान माना जाता है, जो यह दर्शाता है कि व्यक्ति ईश्वर के साथ अपने संबंध को स्वीकार करता है। यह अनुष्ठान यहूदी धर्म के मूल सिद्धांतों में से एक है और इसे यहूदी परिवारों में बहुत गंभीरता और सम्मान के साथ निभाया जाता है।
ब्रित मिलाह का आयोजन
आमतौर पर शिशु के जन्म के आठवें दिन किया जाता है, जब तक कि चिकित्सीय कारणों से इसमें देरी न करनी पड़े। इस अनुष्ठान में एक प्रशिक्षित व्यक्ति, जिसे “मोहेल” कहा जाता है, खतना की प्रक्रिया को अंजाम देता है।
यह समारोह परिवार और समुदाय के बीच एक सामूहिक उत्सव होता है, जिसमें प्रार्थनाएँ, आशीर्वाद, और शिशु के लिए एक नामकरण समारोह शामिल होता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम
यहूदी समुदाय में खतना केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है। यह प्रथा यहूदी लोगों को उनकी साझा इतिहास, विश्वास और परंपराओं से जोड़ती है। यहूदी समुदाय ने विभिन्न युगों में, चाहे वह उत्पीड़न का समय हो या समृद्धि का, इस परंपरा को बनाए रखा है।
यहाँ तक कि होलोकॉस्ट जैसे भयावह समय में भी, यहूदी परिवारों ने गुप्त रूप से इस अनुष्ठान को निभाया, जो उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक दृढ़ता को दर्शाता है।
यहूदी समुदाय का इस प्रथा को लेकर संयमित और निजी रवैया भी उल्लेखनीय है। जहाँ कुछ संस्कृतियों में धार्मिक या सांस्कृतिक प्रथाओं को बड़े पैमाने पर प्रचारित किया जाता है, वहीं यहूदी समुदाय ब्रित मिलाह को एक निजी, पारिवारिक और समुदाय-केंद्रित आयोजन के रूप में देखता है।
यह समारोह आमतौर पर घर या सभास्थल (सिनागॉग) में आयोजित किया जाता है, और इसमें केवल नजदीकी रिश्तेदार और समुदाय के सदस्य शामिल होते हैं।
इस संयमित दृष्टिकोण का कारण यहूदी संस्कृति में नम्रता और आध्यात्मिकता पर जोर देना हो सकता है।
चिकित्सीय दृष्टिकोण
खतना को लेकर आधुनिक चिकित्सा के दृष्टिकोण से भी बहुत चर्चा होती है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, खतना से कुछ स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जैसे कि मूत्रमार्ग संक्रमण (UTI) का जोखिम कम होना, यौन संचारित रोगों (जैसे HIV) का खतरा कम होना, और कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम कम होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य स्वास्थ्य संगठनों ने कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से उच्च HIV प्रसार वाले क्षेत्रों में, खतना को प्रोत्साहित किया है।
हालांकि, खतना को लेकर विवाद भी हैं। कुछ लोग इसे एक अनावश्यक और दर्दनाक प्रक्रिया मानते हैं, जो शिशु के अधिकारों का उल्लंघन करती है। आलोचकों का कहना है कि खतना का निर्णय वयस्क होने पर व्यक्ति को स्वयं लेना चाहिए। इसके जवाब में, यहूदी समुदाय का तर्क है कि खतना उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, और इसे शिशु के जन्म के समय करना धार्मिक आज्ञा का पालन है।
यहूदी समुदाय में खतना एक प्रशिक्षित मोहेल द्वारा किया जाता है, जो न केवल धार्मिक नियमों का पालन करता है, बल्कि स्वच्छता और सुरक्षा के आधुनिक मानकों को भी अपनाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रक्रिया सुरक्षित और कम से कम दर्दनाक हो।
यहूदी समुदाय का संयमित रवैयायहूदी समुदाय का खतना को लेकर संयमित और निजी दृष्टिकोण उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रथा, जो हजारों वर्षों से चली आ रही है, यहूदी समुदाय के लिए एक गहन आध्यात्मिक अनुभव है, जिसे वे बड़े प्रचार या हल्ले के बिना निभाते हैं।
इस संयम के कई कारण हो सकते हैं:
- आध्यात्मिक नम्रता: यहूदी धर्म में नम्रता और सादगी को बहुत महत्व दिया जाता है। धार्मिक अनुष्ठानों को प्रचारित करने के बजाय, यहूदी समुदाय उन्हें निजी और पारिवारिक स्तर पर निभाना पसंद करता है।
- सामुदायिक एकता: ब्रित मिलाह एक ऐसा अवसर है जो परिवार और समुदाय को एक साथ लाता है। यह एक व्यक्तिगत और सामूहिक उत्सव है, जिसे बाहरी दुनिया के साथ साझा करने की आवश्यकता नहीं समझी जाती।
- ऐतिहासिक संदर्भ: यहूदी समुदाय ने अपने इतिहास में कई बार उत्पीड़न और भेदभाव का सामना किया है। इस कारण, कई धार्मिक प्रथाओं को गुप्त या निजी रूप से निभाने की परंपरा विकसित हुई।
- आधुनिक संदर्भ में गोपनीयता: आधुनिक युग में, जब गोपनीयता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर दिया जाता है, यहूदी समुदाय अपनी धार्मिक प्रथाओं को सार्वजनिक चर्चा से दूर रखना पसंद करता है।
तुलनात्मक दृष्टिकोण
यहूदी समुदाय के इस संयमित रवैये को अन्य संस्कृतियों की प्रथाओं के साथ तुलना करके समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ संस्कृतियों में धार्मिक या सांस्कृतिक अनुष्ठानों को बड़े पैमाने पर उत्सवों के साथ जोड़ा जाता है, जिसमें सार्वजनिक प्रदर्शन, संगीत, और नृत्य शामिल होते हैं।
इसके विपरीत, यहूदी समुदाय ब्रित मिलाह को एक निजी और पवित्र आयोजन के रूप में देखता है, जिसमें बाहरी दिखावा कम होता है।
यह संयमित दृष्टिकोण यहूदी संस्कृति की गहराई और उनकी धार्मिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह प्रथा केवल एक शारीरिक कृत्य नहीं है, बल्कि यह यहूदी लोगों के लिए ईश्वर, समुदाय, और उनकी सांस्कृतिक विरासत के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करती है।
आधुनिक चुनौतियाँ और विवाद
आधुनिक युग में, खतना को लेकर कई तरह के नैतिक और कानूनी सवाल उठाए गए हैं। कुछ देशों में, जैसे कि जर्मनी और स्कैंडिनेवियाई देशों में, खतना पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी है, जिसे यहूदी और मुस्लिम समुदायों ने अपनी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला माना है।
इन विवादों के बीच, यहूदी समुदाय ने अपनी परंपराओं को बनाए रखने के लिए संगठित रूप से जवाब दिया है, लेकिन फिर भी वे अपनी प्रथाओं को प्रचारित करने के बजाय उन्हें शांतिपूर्वक निभाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
इसके अलावा, कुछ यहूदी परिवार, विशेष रूप से धर्मनिरपेक्ष या सुधारवादी यहूदी समुदायों में, खतना के बजाय वैकल्पिक अनुष्ठानों (जैसे ब्रित शालोम, एक गैर-खतना समारोह) को अपनाने पर विचार कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति यहूदी समुदाय के भीतर बदलते दृष्टिकोणों को दर्शाती है, लेकिन मुख्यधारा का यहूदी समुदाय अभी भी ब्रित मिलाह को अपनी पहचान का अभिन्न हिस्सा मानता है।
निष्कर्ष
यहूदी समुदाय की खतना प्रथा, जो लगभग दस हज़ार साल पुरानी है, उनकी धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रथा न केवल ईश्वर के साथ उनके समझौते का प्रतीक है, बल्कि यह उनकी सामूहिक एकता और ऐतिहासिक निरंतरता को भी दर्शाती है।
यहूदी समुदाय का इस प्रथा को शांतिपूर्ण और निजी ढंग से निभाने का रवैया उनकी नम्रता, आध्यात्मिकता, और सामुदायिक मूल्यों को उजागर करता है।आधुनिक युग में, जब खतना को लेकर नैतिक और कानूनी सवाल उठ रहे हैं, यहूदी समुदाय अपनी परंपराओं को बनाए रखने के लिए संतुलित और संयमित दृष्टिकोण अपनाता है।
यह प्रथा यहूदी लोगों के लिए केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह उनकी पहचान, विश्वास, और इतिहास का एक जीवंत प्रतीक है, जो बिना किसी “ढोल-नगाड़े” के, पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रहता है।