परिवार जिसमें 9 सदस्य बौनेपन के शिकार हंसी के पात्र बन जाते हैं

family in which 9 members of dwarfism become laughing stock

सर्कस याद है आपको? अगर किसी को याद हो तो 80-90 के दशक में जिन लोगों ने बचपन जीया है उन्हें. खैर, सर्कस की याद हम इसलिए दिला रहे हैं क्योंकि वहां जो सबसे ज्यादा मनोरंजक लगता था वो थी जोकरों की मस्ती.

याद है हमारे घुटने से भी छोटे-छोटे जोकर आकर कितना हंसया करते थे? उनके चेहरे रंगे-पुते होते थे इसलिए शायद ही किसी को उनकी असली शक्ल याद हो, अगर कुछ याद होता तो बस वो अलग कद!


पर जरा सोचिए जहां लोग 5 फीट की हाइट से भी नाखुश होते हैं, वहां ये नाटे, बौने जोकर अपनी निजी जिंदगी में कितना दुखी होंगे? हमने अपने आसपास कितने ही बौने लोगों को सामान्य काम करते देखा है? क्या कभी देखा है किसी मल्टीनेशनल कंपनी में लैपटॉप पर उंगलियां चलाते किसी बौने कर्मचारी को? या फिर कोई कारोबारी जो बौना है?


अगर बौने दिखाई दिए तो बस सर्कस में या फिर फुटपाथ पर करतब दिखाते हुए और कुछ खुशकिस्मत लिलिपुट की तरह भी हैं, जिन्हें फिल्मों में काम मिल गया, पर वो भी अपने कद के कारण. असल में बौनों पर बात करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि हमारी सोच के कारण हैदराबाद का एक परिवार बहुत निराश है! वो निराश है क्योंकि पूरा परिवार बौना है और बौनेपन के कारण हर रोज हम जैसे लोगों की हंसी का पात्र बनता है!


हैदराबाद के पुराने हिस्से है मगर की बावली..पर इस जगह को इस नाम से कोई नहीं जानता. अगर जानते हैं तो बौने की गली नाम से. क्योंकि यहां रहता है राजा राम चौहान का परिवार. वो परिवार जो बीती तीन पीढ़ियों से बौनेपन का शिकार है. परिवार में 9 सदस्य जीवित हैं और सबके सब बौने हैं. राजा राम कहते हैं कि ये बीमारी मेरे दादा के समय से चली आ रही है. इसे मेडिकल भाषा में Achondroplasia कहा जाता है.


चूंकि ये अनुवांशिक है इसलिए इसका असर हर नई जेनेरेशन में दिखाई दे रहा है. शरीर के अंग छोटे हैं, अविकसित हैं पर सभी लोग मानसिक रूप से सक्षम हैं और कोई परेशानी नहीं है. फिर भी क्योंकि इस घर में सालों से बौने रहते आ रहे हैं इसलिए उस इलाके को बौनों की गली कहा जाने लगा.

मारे घुटने से भी छोटे-छोटे जोकर आकर कितना हंसया करते थे


राजा राम एक इंटरव्यू में कहते हैं कि अगर कोई किसी को अपने घर का पता बताता है तो कहता है- वो बौने रहते है ना, बस उसी के पास फलां का मकान है. हम सब जानते हैं पर क्या करें, हमारी हाइट के कारण हम आम लोगों से अलग हैं.
असल, राम राज के पूरे परिवार में कुल 21 सदस्य हैं, जिनमें से 18 सदस्यों को ये जेनेटिक डिसऑर्डर है.


राम राज मूलत: सात बहन और चार भाई थे. उन 11 लोगों में से 8 सदस्य इस जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित थे. लेकिन इनके बड़े भाई पृथ्वी राज सहित कई लोग मर भी चुके हैं.
57 साल के राजा राम सात बहन और चार भाई हैं. उन 11 लोगों में से 9 सदस्य इस जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. इनके बड़े भाई पृथ्वी राज और बाकी कुछ सदस्यों की मौत हो गई है. अभी भाईयों के बच्चे हैं, और इस तरह परिवार में 9 बौने अभी भी रह रहे हैं. अगर पूरे कुनबे को मिलाया जाए तो ये 21 लोगों का परिवार है और इसमें 18 बौने हैं.


भगवान ने अचानक ही ये प्रकोप परिवार पर डाल दिया


राजा राम परिवार के मुखिया हैं, वो कहते हैं कि भगवान ने अचानक ही ये प्रकोप परिवार पर डाल दिया और देखों इसे हम भोगते ही जा रहे हैं. डॉक्टर भी इसमें मदद नहीं कर पाए.

राजा राम की भतीजी यमुना ने ग्रेजुएशन कर लिया है. वो अकाउंट का काम जानती है, कई जगह नौकरी के लिए अप्लाई किया पर जैसे ही इंटरव्यू के लिए पहुंची पहली नजर में ही रिजेक्ट कर दिया गया. यही दिक्कत परिवार के बाकी सदस्यों के साथ भी है. राजा राम कहते हैं कि मैं पढाई करना चाहता था, लेकिन स्कूल में बच्चे मजाक बनाते थे.. तो मन नहीं लगता था.

मेडिकल भाषा में Achondroplasia कहा जाता है


इस परिवार के मुखिया 52 वर्षीय राम राज चौहान जेनेटिक डिसऑर्डर से प्रभावित हैं, जिसे मेडिकल भाषा में Achondroplasia कहा जाता है. इसी कारण से वो बौने हैं. इस घर के सभी लोग बौने हैं, जिसके कारण उन्हें लोगों के मज़ाक का पात्र बनना पड़ता है. नौबत तो ये तक होती है कि कोई इन्हें अपने यहां काम भी नहीं देता. मगर फिर भी ऐसे मुश्किल हालातों में ये परिवार अपने लिए जीने की नई राह निकाल रहा है.


फिर एक बार टाइफाइड हो गया और स्कूल जाना पूरी तरह से बंद हो गया. सोचा था समय बदल रहा है, लोगों की सोच विकसित हो रही है तो अब बच्चों को ये सब नहीं झेलना पड़ेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बहुत मुश्किल से बच्चों का स्कूल में दाखिला हुआ और फिर प्राइवेट माध्यम से ग्रेजुएशन करवाया पर नौकरी किसी को नहीं मिली.


लेकिन परिवार कैसे चले, तो हर कोई अपनी सुविधा से कुछ काम कर लेता है. घर की महिलाएं कपड़े सिलती हैं. भतीजे, लोगों की दुकानों पर डिलेवरी बॉय का काम करते हैं. कई लोग तो हमें दुकान पर इसलिए भी काम दे देते हैं कि बौनों कोे देखकर दुकान में ग्राहक ज्यादा आएंगे. इसके अलावा पूरा परिवार शादियों और समारोहों में लोगों के मनोरंजन का काम करता है. वे शादी के पंडाल में स्टेच्यू बनकर घंटों बैठे रहते हैं. इन सब कामों से कमाई हो जाती है और परिवार पल रहा है.


एक ऐसा परिवार, जिसके 9 सदस्य हैं बौनेपन के शिकार. इस कारण इन्हें काम नहीं मिलता, बनते हैं हंसी के पात्र


हालांकि लॉकडाउन ने मुश्किलें बढ़ा दीं. राजा राम कहते हैं कि लोगों ने राशन देकर किसी तरह मदद की, वरना हम भूखे मर जाते. अब घर के लोग बस यही चाहते हैं कि कुछ पैसों की मदद हो जाए तो किसी तरह दुकान खोल लें और हमारा जीवन चलता रहे. आखिर कब तक दूसरों की शादी में पुतले बनते रहेंगे?


परिवार की दिक्कत केवल बौनापन नहीं है बल्कि उससे जुड़ी शारीरिक दिक्कतें अलग हैं. कम हाइट होने के कारण शरीर की हड्डियां ठीक से विकसित नहीं है. इसलिए ज्यादा देर एक जैसी स्थिति में बैठे होने के कारण जोड़ों में दर्द बना रहता है. राजाराम कहते हैं कि मैंने अपने दादा और पिता को देखा है कि उन्होंने कैसी-कैसी दिक्कतें झेली हैं. कद कम होने के कारण पैर कमजोर हो जाते हैं और आखिर में चलना भी मुश्किल हो जाता है.


परिवार के कई सदस्य अभी से इस दिक्कत का सामना कर रहे हैं. कुछ लोगों की मौत भी इसी दर्द के साथ हुई है. राजा राम और उनका पूरा परिवार इस दुविधा में है कि अगर वे बौने हैं तो आखिर उसमें उनकी गलती क्या है? ये भगवान की देन है जिसेे हम स्वीकार कर चुके हैं. पर लोगों को हमारा संघर्ष दिखाई नहीं देता. अगर कभी सड़क पर चलते हैं तो भीड़ में फंस जाते हैं, निकलना मुश्किल हो जाता है.


ऑटो, रिक्शा में बैठ नहीं पाते. दुकान में सामान लेने जाते हैं तो काउंटर पर बैठा आदमी हमें देख तक नहीं पाता. मॉल, पार्क जैसी जगहों पर जाएं तो लोग हमें ही घूरते रहते हैं. ग्लोबल न्यूट्रिशियन रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत में चार करोड़ 66 लाख बौने लोग हैं. राजा राम का परिवार भी इसी सूची का हिस्सा है. यानि आबादी के लिहाज से बौने कम नहीं है पर वे जहां भी हैं उपेक्षा का शिकार हैं.

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