जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की वार्षिक बैठक: राजा भैया Raja Bhaiya फिर बने राष्ट्रीय अध्यक्ष, पंचायत चुनाव में उतरने का ऐलान

Raja Bhaiya again became the national president
Raja Bhaiya again became the national president

लखनऊ, 30 जून 2025: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार सातवीं बार विधायक चुने गए रघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें ‘राजा भैया’ Raja Bhaiya के नाम से जाना जाता है, को एक बार फिर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है।

यह निर्णय सोमवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित पार्टी की आठवीं वार्षिक बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। इस बैठक में देश भर से आए पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया, जिसमें संगठन के विस्तार, आगामी पंचायत चुनावों की रणनीति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने पर गहन चर्चा हुई। राजा भैया ने अपने संबोधन में पंचायत चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारने की घोषणा की और कार्यकर्ताओं से जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव में किसी भी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर मैदान में उतरेगी।

राजा भैया का राजनीतिक सफर:

एक बाहुबली नेता की कहानीरघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें राजा भैया के नाम से जाना जाता है, उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक चर्चित और प्रभावशाली नाम है। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1967 को प्रतापगढ़ के भदरी रियासत में हुआ था। उनके पिता उदय प्रताप सिंह और माता मंजुल राजे एक शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके दादा राजा बजरंग बहादुर सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं। राजा भैया अपने परिवार में पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने राजनीति में कदम रखा।

Raja Bhaiya again became the national president पंचायत चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारने की घोषणा की

1993 में राजा भैया ने पहली बार कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद से उन्होंने इस सीट पर अपनी पकड़ को और मजबूत किया। 1993, 1996, 2002, 2007, 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में वे लगातार जीतते रहे। उनकी यह उपलब्धि उनकी लोकप्रियता और क्षेत्र में उनके प्रभाव को दर्शाती है। 2017 के चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जानकी शरण को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया था।

राजा भैया की राजनीतिक यात्रा केवल जीत तक सीमित नहीं रही। उन्होंने विभिन्न सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर भी काम किया है। 1997 में वे भारतीय जनता पार्टी की कल्याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। इसके बाद 1999 और 2000 में राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकारों में खेलकूद और युवा कल्याण मंत्री रहे।

2004 में समाजवादी पार्टी (सपा) की मुलायम सिंह यादव सरकार में उन्होंने खाद्य और रसद विभाग संभाला। 2012 में सपा सरकार में वे कारागार और खाद्य एवं रसद मंत्री बने, लेकिन 2013 में कुंडा में हुए तिहरे हत्याकांड में उनका नाम आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में उन्हें निर्दोष पाया गया और क्लीन चिट मिल गई।

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन और उद्देश्य

25 साल तक निर्दलीय विधायक रहने के बाद, राजा भैया ने 2018 में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की स्थापना की। इस पार्टी का गठन लखनऊ के रमाबाई उद्यान में एक विशाल समारोह में हुआ, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। पार्टी का नाम ‘जनसत्ता’ इस विचार को दर्शाता है कि सत्ता जनता की होनी चाहिए। राजा भैया ने हमेशा अपने भाषणों में जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देने और जमीनी स्तर पर काम करने की बात कही है।

पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रतापगढ़ और कौशांबी से अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हुई। 2022 के विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जिनमें से केवल कुंडा और बाबागंज सीटों पर जीत मिली। इसके बावजूद, राजा भैया की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

वार्षिक बैठक में पंचायत चुनाव की रणनीतिइंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की आठवीं वार्षिक बैठक में राजा भैया ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी आगामी पंचायत चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारेगी और इसके लिए जिला स्तर पर संगठन को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से बूथ कमेटियों का गठन करने और गांव-गांव तक पार्टी की पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया।

राजा भैया ने स्पष्ट किया कि पंचायत चुनाव में उनकी पार्टी किसी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “हम अपने दम पर पंचायत चुनाव लड़ेंगे। कार्यकर्ताओं को जनता के मुद्दों को उठाने और उनके लिए संघर्ष करने की जरूरत है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि जनप्रतिनिधि का असली काम जनता के बीच रहना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है।

राष्ट्रवाद और धीरेंद्र शास्त्री पर बयान

अपने संबोधन में राजा भैया ने राष्ट्रवाद को पार्टी का मूल मंत्र बताया। उन्होंने प्रख्यात कथा वाचक धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन करते हुए कहा कि वे राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दे रहे हैं, फिर भी कुछ लोग उनके खिलाफ टिप्पणी करते हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि धीरेंद्र शास्त्री ने कभी अखिलेश पर टिप्पणी नहीं की, फिर भी अखिलेश का उनके खिलाफ बयान देना उचित नहीं है। राजा भैया ने कहा, “जातिवाद नहीं, राष्ट्रवाद ही देश के उत्थान का मूल मंत्र है।”

उन्होंने इटावा में हुए एक विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि यह मामला दो लोगों के बीच का था, लेकिन इसे जातीय टकराव का रूप देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहें और राष्ट्रहित में पार्टी की आवाज को बुलंद करें।

संगठन विस्तार और भविष्य की रणनीति

राजा भैया ने बैठक में एक महीने के भीतर राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए बूथ कमेटियों का गठन और सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे जनता के मुद्दों पर मुखर रहें और धरना-प्रदर्शन के लिए तैयार रहें।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विनोद सरोज ने 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अभी से गांव स्तर पर संगठन को मजबूत करने की बात कही। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश नाथ ओझा, जितेंद्र सिंह मुन्ना और पूर्व मंत्री शैलेंद्र सरोज ने भी अपने विचार रखे। बैठक का संचालन बृजेश राजावत ने किया।

राजा भैया का प्रभाव

राजा भैया की कुंडा और आसपास के क्षेत्रों में मजबूत पकड़ है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2007 के विधानसभा चुनाव में कुंडा में हुए कुल मतदान का लगभग आधा हिस्सा उनके पक्ष में था। हालांकि, उनके राजनीतिक जीवन में विवाद भी कम नहीं रहे। 2002 में मायावती सरकार ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर पोटा कानून के तहत जेल में डाल दिया था। उन पर डकैती, हत्या की कोशिश और अपहरण जैसे आरोप लगे, लेकिन बाद में सीबीआई जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल गई।

परिवार और नई पीढ़ी की एंट्री

राजा भैया के दो बेटे, शिवराज प्रताप सिंह और बृजराज प्रताप सिंह, हाल ही में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की सदस्यता ग्रहण कर राजनीति में कदम रख चुके हैं। उन्हें स्थानीय लोग ‘बड़े राजा’ और ‘छोटे राजा’ कहकर पुकारते हैं। दोनों बेटों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने पिता के लिए प्रचार किया था।

निष्कर्ष

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की वार्षिक बैठक में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने अपनी पार्टी को मजबूत करने और आगामी पंचायत चुनावों में सक्रिय भागीदारी की दिशा में स्पष्ट रणनीति प्रस्तुत की। उनका राष्ट्रवाद पर जोर और जातिवाद को खारिज करने का बयान उनकी राजनीतिक विचारधारा को दर्शाता है। कुंडा में उनकी मजबूत पकड़ और क्षेत्रीय प्रभाव के साथ, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिश में है।

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