भाजपा समर्थित सरकार की बर्बरता: ब्राह्मण ऑटो चालक की पिटाई और थूक चटवाया – ब्राह्मणों में आक्रोश, जनसुराज को समर्थन की बात

शेखपुरा, बिहार | 03 जुलाई 2025 | बिहार के शेखपुरा जिले के मेहूस थाना क्षेत्र में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने न केवल पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और पुलिसिया बर्बरता के मुद्दे को फिर से उजागर किया है।
30 जून 2025 को हुई इस घटना में मेहूस थाने के थानाध्यक्ष प्रवीण चंद्र दिवाकर पर एक ऑटो चालक की बेरहमी से पिटाई करने और उससे थूक चटवाने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित ऑटो चालक, प्रद्युम्न कुमार, ने बताया कि थानाध्यक्ष ने उसकी जाति पूछकर उसे ब्राह्मण होने की सजा दी और अमानवीय व्यवहार किया।
इस घटना की जानकारी स्थानीय लोगों और बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार के हस्तक्षेप के बाद शेखपुरा पुलिस अधीक्षक (एसपी) तक पहुंची, जिसके बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया।
घटना का विवरण:
साइड न देने पर भड़का थानाध्यक्ष का गुस्सामामला 30 जून 2025 की शाम का है, जब भारी बारिश के बीच मेहूस गांव निवासी 26 वर्षीय प्रद्युम्न कुमार, जो पेशे से एक ऑटो चालक हैं, अपने ऑटो से सवारी उतारकर घर लौट रहे थे।
इसी दौरान पीछे से सादी वर्दी में बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार थानाध्यक्ष प्रवीण चंद्र दिवाकर ने ऑटो चालक को साइड देने के लिए हॉर्न बजाया। सड़क पर भीड़ और बारिश के कारण प्रद्युम्न साइड देने में थोड़ा विलंब कर बैठे।
इससे नाराज थानाध्यक्ष ने फिल्मी अंदाज में ऑटो को रुकवाया और प्रद्युम्न को बीच सड़क पर ही लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। प्रद्युम्न ने बताया कि थानाध्यक्ष ने उन्हें गालियां दीं और थाने से अन्य पुलिसकर्मियों को बुलवाया। इसके बाद ऑटो को जब्त कर लिया गया और प्रद्युम्न को थाने ले जाया गया।
थाने में भी उनकी बेरहमी से पिटाई की गई। पीड़ित का आरोप है कि थानाध्यक्ष ने उनकी जाति पूछी और जब उन्होंने अपनी जाति ब्राह्मण बताई, तो थानाध्यक्ष ने कहा, “ब्राह्मण तो मेरा दुश्मन है, मुझे इस जाति से नफरत है।” इसके बाद थानाध्यक्ष ने प्रद्युम्न को जमीन पर थूकने के लिए मजबूर किया और फिर उसे जबरन थूक चटवाया।
इस अमानवीय कृत्य के बाद ही उन्हें थाने से छोड़ा गया।गंभीर चोटों के कारण अस्पताल में भर्तीपिटाई के कारण प्रद्युम्न को गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद उनके परिजनों ने उन्हें शेखपुरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया।
डॉक्टरों के अनुसार, प्रद्युम्न के शरीर पर कई जगह गहरे घाव और चोट के निशान हैं, जो पुलिसिया बर्बरता की गवाही दे रहे हैं। प्रद्युम्न ने अपनी शिकायत में कहा, “मैंने कोई गलती नहीं की थी। सिर्फ बारिश के कारण सड़क पर साइड देने में देरी हुई थी। लेकिन थानाध्यक्ष ने मुझे बेवजह पीटा और मेरी जाति को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां कीं।
यह सब थाने में हुआ, जहां मुझे न्याय मिलना चाहिए था।”स्थानीय लोगों और विधायक का हस्तक्षेपघटना की जानकारी जैसे ही स्थानीय लोगों को मिली, उन्होंने इसकी सूचना बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार को दी। विधायक ने तुरंत शेखपुरा के पुलिस अधीक्षक बलराम चौधरी से संपर्क किया और दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
विधायक सुदर्शन ने कहा, “यह घटना बेहद शर्मनाक है। पुलिस का काम लोगों की सुरक्षा करना है, न कि उन्हें प्रताड़ित करना। थानाध्यक्ष ने न केवल अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया, बल्कि जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देकर समाज में नफरत फैलाने का काम किया है।

पुलिस अधीक्षक की त्वरित कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी बलराम चौधरी ने तत्काल उप पुलिस अधीक्षक (एसडीपीओ) डॉ. राकेश कुमार को जांच के लिए नियुक्त किया। एसडीपीओ की प्रारंभिक जांच में थानाध्यक्ष प्रवीण चंद्र दिवाकर के खिलाफ लगे सभी आरोप सही पाए गए। इसके आधार पर एसपी ने 1 जुलाई 2025 को थानाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। शेखपुरा पुलिस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल (
@ShekhpuraPolice पर इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा, “मेहूस थाना प्रभारी प्रवीण चंद्र दिवाकर को ऑटो चालक के साथ मारपीट और अमानवीय व्यवहार के आरोप में निलंबित किया गया है। मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।
“थानाध्यक्ष का जवाब और खंडनथानाध्यक्ष प्रवीण चंद्र दिवाकर ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि प्रद्युम्न ने गश्ती कर रही एक महिला सिपाही को देखकर सीटी मारी थी, जिसके कारण उसे थाने लाया गया और मामूली पिटाई की गई।
हालांकि, स्थानीय लोगों और पीड़ित ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया है। प्रद्युम्न ने कहा, “यह सरासर झूठ है। मैंने किसी को छेड़ा नहीं था। थानाध्यक्ष सिर्फ अपनी गलती छिपाने के लिए बहाने बना रहे हैं।”स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोशइस घटना ने शेखपुरा जिले में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है।
स्थानीय लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कानूनविदों ने थानाध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। लोगों का कहना है कि केवल निलंबन पर्याप्त नहीं है; इस तरह की घटनाएं पुलिस की छवि को धूमिल करती हैं और समाज में जातिगत तनाव को बढ़ावा देती हैं।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “पुलिस को लोगों की रक्षा करनी चाहिए, न कि उन्हें डराना और अपमानित करना। थानाध्यक्ष ने जो किया, वह अमानवीय है। उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए।”सामाजिक कार्यकर्ता रमेश सिंह ने कहा, “यह घटना बिहार में जातिगत भेदभाव और पुलिस की मनमानी का जीता-जागता उदाहरण है।
जब थाने में ही इस तरह की हरकतें होंगी, तो आम आदमी न्याय की उम्मीद कहां से करेगा? सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए।”पुलिसिया बर्बरता और जातिगत भेदभाव का मुद्दायह घटना बिहार में पुलिसिया बर्बरता और जातिगत भेदभाव के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला रही है।
हाल के वर्षों में बिहार के कई हिस्सों से पुलिस द्वारा आम लोगों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें सामने आई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस सुधार और अधिकारियों को संवेदनशीलता प्रशिक्षण देने की सख्त जरूरत है।
सामाजिक विश्लेषक डॉ. अनिल कुमार ने कहा, “पुलिस का यह व्यवहार न केवल कानून-व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि समाज में अविश्वास और तनाव को भी बढ़ाता है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह बनाना होगा।”पीड़ित की मांग: न्याय और मुआवजाप्रद्युम्न कुमार ने अपनी शिकायत में थानाध्यक्ष के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई और गिरफ्तारी की मांग की है।
इसके अलावा, उन्होंने सरकार से मुआवजे और सुरक्षा की भी मांग की है। प्रद्युम्न ने कहा, “मुझे और मेरे परिवार को अब डर है कि थानाध्यक्ष या उनके सहयोगी हमें निशाना बना सकते हैं। मैं चाहता हूं कि सरकार मुझे न्याय दे और मेरी सुरक्षा सुनिश्चित करे।”विभागीय जांच और आगे की कार्रवाईएसपी बलराम चौधरी ने कहा कि मामले की गहन जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच निष्पक्ष होगी और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही, थूक चटवाने जैसे गंभीर आरोपों की अलग से जांच की जा रही है। पुलिस विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने न केवल शेखपुरा, बल्कि पूरे बिहार में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर लोग इस मामले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। एक्स पर कई यूजर्स ने इस घटना को पुलिसिया बर्बरता और जातिगत नफरत का प्रतीक बताया है।
एक यूजर ने लिखा, “यह शर्मनाक है कि पुलिस, जो समाज की रक्षा के लिए है, खुद ऐसी अमानवीय हरकतें कर रही है। थानाध्यक्ष को सजा मिलनी चाहिए।”विपक्षी दलों ने भी इस घटना की निंदा की है और सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
एक विपक्षी नेता ने कहा, “यह घटना बिहार में कानून-व्यवस्था की बदहाल स्थिति को दर्शाती है। पुलिस को सुधारने और भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने की जरूरत है।”निष्कर्ष: पुलिस सुधार की जरूरतयह घटना एक बार फिर पुलिस सुधार की जरूरत को रेखांकित करती है।
बिहार में पुलिस और आम जनता के बीच विश्वास की कमी पहले से ही एक बड़ी समस्या रही है, और इस तरह की घटनाएं इस खाई को और गहरा करती हैं। सरकार और पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और न केवल दोषी अधिकारी को सजा दें, बल्कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय करें।
प्रद्युम्न कुमार की कहानी न केवल एक व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि यह समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और सत्ता के दुरुपयोग की गहरी समस्या को भी उजागर करती है। इस घटना ने न केवल शेखपुरा, बल्कि पूरे देश में लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कब तक आम आदमी को इस तरह की बर्बरता का सामना करना पड़ेगा।
ब्राह्मणों में आक्रोश, जनसुराज को समर्थन की बात
शेखपुरा जिले के मेहूस थाने में हुई पुलिसिया बर्बरता की घटना ने न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि अब यह मामला राजनीतिक रंग भी ले रहा है। 30 जून 2025 को मेहूस थाने के थानाध्यक्ष प्रवीण चंद्र दिवाकर द्वारा एक ब्राह्मण ऑटो चालक, प्रद्युम्न कुमार, की कथित तौर पर बेरहमी से पिटाई और थूक चटवाने की घटना ने स्थानीय ब्राह्मण समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।
इस घटना के बाद कुछ ब्राह्मण संगठनों और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार के शासन में उनकी जाति को अपमानित किया जा रहा है। इस बीच, कई लोगों ने प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पार्टी ‘जनसुराज’ को समर्थन देने की बात कही है, जिससे बिहार की सियासत में एक नया मोड़ आ सकता है।
लेखक: रिलायबल मीडिया न्यूज डेस्क
स्रोत:
- शेखपुरा पुलिस का आधिकारिक एक्स हैंडल
- स्थानीय समाचार पत्र और एक्स पोस्ट
- ईटीवी भारत, लाइव हिंदुस्तान, न्यूज18, प्रभात खबर, द इंडिया डेली, स्वत्व समाचार, और एबीपी लाइव की रिपोर्ट्स