Basti News छठ पूजा को लेकर प्रशासन हुआ अलर्ट

Basti News Administration became alert regarding Chhath Puja
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अपर पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश सिंह ने हर्रैया के शिवाला घाट व मनोरमा घाट का किया निरीक्षण .निरीक्षण के दौरान एसडीएम हर्रैया विनोद कुमार पांडे ,क्षेत्राधिकारी हर्रैया संजय सिंह, नगर पंचायत ईओ संजय राव , थाना अध्यक्ष हर्रैया SHO तहसीलदार सिंह रहे मौजूद .अपर पुलिस अधीक्षक ने छठ को लेकर दिया आवश्यक दिशा निर्देश.

गोला गोकर्णनाथ। पुराणों में सूर्य षष्ठी व्रत छठ पूजा का वर्णन किया गया है। यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पांच से शुरू होगा और आठ नवंबर तक चलेगा। सप्तमी को जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारायण होगा। इसको लेकर कस्बा गोला में तैयारियां तेज हो गई हैं।

साहित्यकार राम ललन पांडेय ने बताया कि स्कंद पुराण में वर्णन है कि स्वयंभू मनु के पुत्र प्रियव्रत संतानहीन थे। उन्होंने सूर्यदेव का तप किया तो पुत्र जन्म हुआ, लेकिन वह मृत था। यह देखकर वह विलाप करने लगे तो सिंहासन पर सवार होकर एक देवी वहां उपस्थित हुईं और अपने आशीर्वाद से मृत शिशु को जीवित कर दिया। जब प्रियव्रत और उनकी पत्नी ने उनका परिचय पूछा तो देवी ने बताया कि वह छठ माता है। निःसंतान को आशीर्वाद देकर पुत्रवान बनाती हैं और पुत्रवान की संतान की रक्षा करती हैं, तब से छठ पूजा प्रारंभ हो गई।

भविष्य पुराण में सूर्य षष्टी व्रत का विधान बताया गया है। पुराण में कहा गया है, कि सूर्य षष्ठी व्रत को कर जो सूर्य की पूजा कर दुर्वांकुर का एक बार भोजन करता है, उसे राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस पुराण में सुमंत मुनि कहते हैं कि सूर्य षष्ठी व्रत को स्वयं भगवान सूर्यदेव ने अरुण से कहा था। यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला है भगवान भास्कर की भक्ति पूर्वक पूजा करने वाला मनुष्य अमित तेजस्वी भगवान भास्कर के अमित स्थान को प्राप्त करता है।

नहाय-खाय से शुरू होता है व्रत


गोला गोकर्णनाथ। पूर्वांचल का सुप्रसिद्ध छठ पूजा व्रत पांच नवंबर को नहाय-खाय से शुरू होगा। इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई कर मिट्टी के चूल्हे पर चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात भोग के रूप में बनाया जाता। छह नवंबर को खरना होगा, इसमें गुड़ की खीर का प्रसाद बनाकर रात में भोग लगाकर बांटा जाएगा और ग्रहण किया जाएगा। यहीं से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होगा।


इस व्रत को पुरुष और महिलाएं दोनों रखते हैं। सात नवंबर की शाम नदी या सरोवर में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा, अंतिम दिन आठ नवंबर की सुबह जल में खड़े हो उगते सूरज को जल में अर्घ्य देकर व्रत का पारायण होगा। छठ पूजा व्रत में नारियल, केला ,गन्ना मीठा नींबू, सुपारी और सिंघाड़ा से पूजन होता है।

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