प्रयागराज में पत्रकार एलएन सिंह की नृशंस हत्या: EMCA संरक्षक वीरेंद्र पाठक ने कड़ी कार्यवाही की मांग की
प्रयागराज, 24 अक्टूबर 2025 (विशेष संवाददाता): उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक राजधानी प्रयागराज, जहां गंगा-यमुना-सारस्वती का पवित्र संगम हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, आज एक ऐसी घटना का गवाह बना जो न केवल शहर की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि पूरे लोकतंत्र की नींव को हिला देती है।
सिविल लाइंस इलाके में प्रसिद्ध वरिष्ठ पत्रकार एलएन सिंह की चाकू से नृशंस हत्या ने पूरे पत्रकार समुदाय को स्तब्ध कर दिया है। हमलावरों ने उन पर 20 से 25 वार किए, जिससे वे मौके पर ही दम तोड़ बैठे।
यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि पत्रकारिता के पेशे पर हमले का प्रतीक बन गई है।
एलएन सिंह, जिन्हें पत्रकारिता जगत में ‘संगम की कलम’ के नाम से जाना जाता था, लंबे समय से स्थानीय समाचार चैनलों और प्रिंट मीडिया में सक्रिय थे।
उनकी उम्र मात्र 52 वर्ष थी, और वे प्रयागराज के सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर गहन रिपोर्टिंग के लिए मशहूर थे। गुरुवार की रात, जब वे अपने दैनिक रूटीन के तहत सिविल लाइंस स्थित एक चाय की दुकान पर पत्थर गिरजाघर के पास समाचार स्रोतों से बातचीत कर रहे थे, तभी हमलावरों ने उन पर धावा बोल दिया। ऐसा पता चला है की किसी मामले में बीच बचाव करने पर उनकी हत्या हुई है
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर दो-तीन की संख्या में थे, जो मोटरसाइकिल पर आए थे। उन्होंने बिना किसी चेतावनी के चाकू से हमला किया और भाग निकले। स्थानीय लोग चीख-पुकार मचाने लगे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
एलएन सिंह के शरीर पर गहरे घाव थे, खासकर पेट छाती पर, जो घातक साबित हुए।
पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है।
प्रयागराज के कमिश्नर अजय पाल शर्मा ने बताया, “एक अपराधी विशाल को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है अन्य हमलावरों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। फॉरेंसिक टीम ने साक्ष्य संग्रह किए हैं, और हम जल्द ही अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लेंगे।” हालांकि, यह दावा कितना विश्वसनीय है, यह समय ही बताएगा।
प्रयागराज में हाल के वर्षों में अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं, और पुलिस की कार्रवाई अक्सर देरी से होती दिखाई देती है। एलएन सिंह की हत्या के पीछे संभावित कारणों पर अटकलें लगाई जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, उनका किसी मामले में विशाल से विवाद चल रहा था, इसी कारण से हत्या हुई है।
क्या यह हत्या उसी का नतीजा है? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।

पत्रकार एलएन सिंह: एक संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी
एलएन सिंह का जन्म 1973 में प्रयागराज के ही एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे, और मां गृहिणी। बचपन से ही सामाजिक मुद्दों के प्रति उनकी रुचि थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, उन्होंने 1995 में स्थानीय अखबार ‘प्रयाग संदेश’ से अपना करियर शुरू किया।
धीरे-धीरे वे टेलीविजन मीडिया में आ गए और ‘उत्तर प्रदेश न्यूज’ चैनल के प्रमुख संवाददाता बने। उनकी रिपोर्टिंग में हमेशा ग्रामीण इलाकों की समस्याओं, जैसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत वितरण में भ्रष्टाचार, किसानों की आत्महत्या, और महिलाओं पर अत्याचार, पर फोकस रहता था।
2010 में, जब प्रयागराज में कुंभ मेला आयोजित हुआ, एलएन सिंह की एक रिपोर्ट ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने मेला क्षेत्र में सफाई व्यवस्था की लापरवाही और ठेकेदारों के घोटाले को उजागर किया, जिसके बाद प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी।
इसी वर्ष उन्हें ‘उत्तर प्रदेश पत्रकारिता पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। लेकिन उनकी कलम ने कई शक्तिशाली लोगों को चिढ़ाया भी। 2018 में, एक स्थानीय नेता पर लगे यौन शोषण के आरोपों की रिपोर्टिंग के बाद उन पर जान से मारने की धमकी मिली थी। तब उन्होंने कहा था, “पत्रकारिता का मतलब है सत्य की खोज, चाहे कितना ही खतरा हो।” उनकी यह दृढ़ता उन्हें सहयोगियों के बीच प्रेरणा स्रोत बनाती थी।
एलएन सिंह न केवल एक पत्रकार थे, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता भी। वे ‘प्रयाग पत्रकार संघ’ के पूर्व अध्यक्ष रह चुके थे और युवा पत्रकारों को प्रशिक्षण देते थे। उनके घर पर हमेशा सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों की बैठकें होती रहतीं।
उनकी पत्नी सुनीता सिंह, जो एक स्कूल शिक्षिका हैं, ने बताया, “एलएन हमेशा कहते थे कि प्रयागराज का संगम केवल नदियों का नहीं, बल्कि न्याय और सत्य का भी है। आज वह खुद इस संगम का शिकार हो गए।”
परिवार अब सदमे में है, और पड़ोसियों ने आर्थिक सहायता के लिए फंड जुटाना शुरू कर दिया है।
घटना का विवरण:
एक सामान्य सुबह का काला अध्यायघटना की कालानुक्रमिक डिटेल्स से पता चलता है कि यह सुनियोजित हमला था। सुबह 9:45 बजे, एलएन सिंह अपने घर से निकले थे। वे रोजाना की तरह सिविल लाइंस की एक चाय की दुकान पर रुकते थे, जहां वे स्थानीय सूत्रों से अपडेट लेते।
अचानक दो लड़के मोटरबाइक पर आए और सीधे उन पर टूट पड़े।
एक ने चाकू से वार किया, दूसरा संभालता रहा।
एक का नाम शायद ‘विशाल’ था, जो इलाके में बदमाश के रूप में जाना जाता है।
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि मौत चाकू के घावों से ही हुई।
फॉरेंसिक विशेषज्ञों का मानना है कि चाकू पर डीएनए सैंपल मिल सकते हैं, जो जांच को मजबूत करेंगे।
सिविल लाइंस इलाका प्रयागराज का एक पॉश क्षेत्र है, जहां उच्च न्यायालय, प्रशासनिक कार्यालय और अमीर वर्ग के निवास हैं। यहां अपराध दर कम मानी जाती है, लेकिन हाल के महीनों में चाकूबाजी की घटनाएं बढ़ी हैं।
एक आंकड़े के अनुसार, 2024 में प्रयागराज जिले में 1 से अधिक चाकू हमलों की रिपोर्ट दर्ज हुई, जिनमें से 40 प्रतिशत हत्या में तब्दील हो गए। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश पुलिस के आधिकारिक रिकॉर्ड से लिया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि माफिया का उदय और पुलिस की निष्क्रियता इसका मुख्य कारण है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: विपक्ष का हल्ला, सत्ता की खामोशी
इस हत्या ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। विपक्षी दलों ने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ करार दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “पत्रकार बंधु की हत्या दुखद है। दोषियों को फांसी की सजा दी जाएगी।” लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह केवल बयानबाजी है।
” राजनीतिक विश्लेषक डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुनील कुमार सिंह बताते हैं, “यह हत्या चुनावी वर्ष में सियासत को भुनाने का मौका देगी। विपक्ष इसे कानून व्यवस्था का मुद्दा बनाएगा, जबकि सत्ता इसे अलग करार देगी।
“जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के महानगर अध्यक्ष एस.पी. सिंह ने एक शोक संदेश जारी कर मांग की है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष नीति बने। उन्होंने कहा, “यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि आवाज दबाने की साजिश है।”
प्रयागराज में आज शाम को एक कैंडल मार्च निकाला जाएगा, जिसमें पत्रकार संगठन और राजनीतिक दल भाग लेंगे।
पत्रकार समुदाय का आक्रोश: ‘नो मोर साइलेंस’
पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। अखिल भारतीय पत्रकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र पाठकने कहा, “एलएन सिंह हम सबके भाई थे। उनकी हत्या प्रेस फ्रीडम पर कोहराम मचा रही है।
” इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब में आपात बैठक बुलाई गई, जहां 200 से अधिक पत्रकारों ने भाग लिया। क्लब अध्यक्ष ने बताया, “हम हड़ताल पर उतरेंगे अगर 48 घंटे में आरोपी न पकड़े गए।
” उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों से भी संदेश आ रहे हैं। लखनऊ में पत्रकारों ने धरना दिया, जबकि वाराणसी में एक स्मृति सभा हुई।
एक सर्वे के अनुसार, भारत में 2024 में 15 पत्रकारों की हत्या हुई, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की रैंकिंग में भारत 150वें स्थान पर है। एलएन सिंह की हत्या इस आंकड़े को और बदतर करेगी।
पत्रकार साथी ने भावुक होकर कहा, “वे हमेशा कहते थे कि सच्चाई की कीमत चुकानी पड़ती है। लेकिन यह कीमत इतनी भारी कैसे हो सकती है?” युवा पत्रकारों में डर का माहौल है। कई ने बताया कि वे अब संवेदनशील स्टोरी पर काम करने से हिचक रहे हैं।
कानून व्यवस्था पर सवाल: प्रयागराज का अपराध ग्राफ
प्रयागराज, जिसे कभी ‘नगरी ऑफ पायस’ कहा जाता था, आज अपराध की खबरों से सुर्खियां बटोर रहा है। 2023-2025 के बीच जिले में हत्या के मामले 25 प्रतिशत बढ़े हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में प्रति लाख आबादी पर 4.2 हत्याएं होती हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुना है।
प्रयागराज में माफिया का बोलबाला है – रियल एस्टेट, शराब और जुआ के धंधे फल-फूल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस की कमी और राजनीतिक दबाव इसका कारण है।
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं, “पुलिस को आधुनिक हथियार और ट्रेनिंग की जरूरत है। सीसीटीवी नेटवर्क अपर्याप्त है।” सिविल लाइंस जैसे इलाके में भी गश्त कम है। एक रिपोर्ट में पाया गया कि 70 प्रतिशत अपराध अनट्रेस्ड रहते हैं। एलएन सिंह की हत्या इसी कड़ी का हिस्सा लगती है।
सामाजिक कार्यकर्ता लालू प्रसाद यादव फाउंडेशन के संयोजक ने कहा, “अपराधी बेखौफ हैं क्योंकि सजा का डर नहीं। योगी जी के ‘बुलडोजर जस्टिस’ का फायदा अपराधियों को हो रहा है।” महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले भी बढ़े हैं। 2024 में प्रयागराज में चाकूबाजी की घटनाएं दर्ज हुईं।
ऐतिहासिक संदर्भ: प्रयागराज में पत्रकारों पर हमले
प्रयागराज का इतिहास पत्रकारिता के संघर्ष से भरा है। 1970 के दशक में, आपातकाल के दौरान कई पत्रकार जेल गए। 1990 में, एक स्थानीय संपादक की हत्या हुई थी। 2019 के कुंभ के दौरान भी पत्रकारों पर लाठीचार्ज हुआ। एलएन सिंह की हत्या इस श्रृंखला को जोड़ती है।
इतिहासकार डॉ. एसएन सिंह बताते हैं, “प्रयागराज हमेशा स्वतंत्रता का प्रतीक रहा, लेकिन आज दमन का केंद्र बन गया है।”भविष्य की चुनौतियां: क्या बदलेगा?इस हत्या के बाद सवाल उठता है – क्या कुछ बदलेगा? सरकार ने पत्रकार सुरक्षा नीति का वादा किया है, लेकिन अमल कब? एनजीओ ‘आर्टिकल 19’ ने कहा, “भारत को प्रेस फ्रीडम लॉ बनाना चाहिए।” परिवार ने मुआवजे की मांग की है।
समाजशास्त्री प्रो. इंदिरा तिवारी कहती हैं, “यह घटना जागृति लाएगी। लोग सड़कों पर उतरेंगे।” लेकिन इतिहास बताता है कि ऐसी घटनाएं जल्द भुला दी जाती हैं।
एलएन सिंह की यादें उनकी स्टोरीज में जीवित रहेंगी।


