ट्रंप के 50% टैरिफ – Trump’s 50% Tariff से भारत के इन सेक्टरों को होगा भारी नुकसान

Trump says he 'most likely' will give TikTok 90-day extension to avoid US ban
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नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने का फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। यह कदम भारत की रूसी तेल खरीद और कथित संरक्षणवादी व्यापार नीतियों के खिलाफ उठाया गया है। 7 अगस्त से प्रभावी इस आदेश के तहत कुछ उत्पादों पर तत्काल 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लागू हो गया है, जबकि पूर्ण 50 प्रतिशत दर 27 अगस्त से लागू होगी,

जिसके लिए भारत को 20 दिनों की मोहलत दी गई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे भारत के कुल निर्यात में से 20 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होगा, जो जीडीपी का लगभग 2 प्रतिशत है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहां 2024 में लगभग 87 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।

ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत की रूस से तेल खरीद यूक्रेन युद्ध के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन है, जो रूस की आय को बढ़ावा दे रही है। इससे भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ गया है, और भारत सरकार बातचीत के माध्यम से छूट हासिल करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, अगर समझौता नहीं हुआ तो लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। मूडीज ने चेतावनी दी है कि यह टैरिफ भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को झटका दे सकता है और FY2025-26 में जीडीपी वृद्धि को 0.3 प्रतिशत तक कम कर सकता है

टैरिफ का पृष्ठभूमि और कारण

ट्रंप ने इस टैरिफ को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देते हुए लागू किया है। उनका कहना है कि भारत की रूसी तेल खरीद पुतिन सरकार को मजबूत कर रही है, जबकि अमेरिका और उसके सहयोगी रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि चीन और तुर्की जैसे अन्य बड़े रूसी तेल आयातकों पर अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है। भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि यह चयनात्मक कार्रवाई है, जो भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति को रोकने का प्रयास हो सकता है।

भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया है, लेकिन अब वैकल्पिक स्रोत ढूंढना चुनौतीपूर्ण होगा, जो मुद्रास्फीति बढ़ा सकता है। गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, इस टैरिफ से भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि में 60 आधार अंकों (0.6 प्रतिशत) की कमी आ सकती है, जिसमें अप्रैल और अगस्त के दौर शामिल हैं।

Trump’s 50% Tariff प्रभावित सेक्टर और उनका विस्तृत नुकसान

ट्रंप के टैरिफ से भारत के कई प्रमुख निर्यात सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे। अनुमान है कि 8-10 अरब डॉलर का निर्यात जोखिम में है, जो अमेरिका जाने वाले कुल निर्यात का बड़ा हिस्सा है। नीचे प्रमुख सेक्टरों का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है:

  1. रत्न और आभूषण (Gems and Jewellery):
    यह सेक्टर अमेरिका पर सबसे ज्यादा निर्भर है, जहां 2024 में 10 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। 50 प्रतिशत टैरिफ से कीमतें दोगुनी हो जाएंगी, जिससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद अनुपयुक्त हो जाएंगे। प्रतिस्पर्धी देश जैसे तुर्की, वियतनाम और थाईलैंड कम टैरिफ का फायदा उठा सकते हैं। निर्यातक दुबई या मैक्सिको में उत्पादन स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन इससे भारत में लाखों कारीगरों की नौकरियां खतरे में पड़ेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस सेक्टर में 40-50 प्रतिशत निर्यात गिरावट आ सकती है।

2 कपड़ा और परिधान (Textiles and Apparel):


अमेरिका में 2 अरब डॉलर से ज्यादा का निर्यात करने वाला यह श्रम-गहन सेक्टर पहले से ही मंदी का शिकार है। टैरिफ से उत्पादन रुक गया है, और अमेरिकी ग्राहकों से ऑर्डर रद्द होने की खबरें आ रही हैं। बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों की तुलना में भारत की प्रतिस्पर्धा कमजोर हो जाएगी। पतले लाभ मार्जिन के कारण यह सेक्टर उच्च मूल्य लोचदार है, जिससे निर्यात में 30-40 प्रतिशत की कमी हो सकती है। इससे तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में बेरोजगारी बढ़ेगी।

3ऑटो पार्ट्स (Auto Components):


अमेरिका भारत के ऑटो पार्ट्स का सबसे बड़ा बाजार है, जहां 3 अरब डॉलर का निर्यात होता है। कमर्शियल वाहनों, ट्रैक्टरों और अर्थ-मूविंग मशीनों के पार्ट्स पर 50 प्रतिशत टैरिफ से कंपनियां जैसे भारत फोर्ज और मदरसन सुमी को भारी नुकसान होगा। उत्पादन में कटौती और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान की आशंका है।

4 समुद्री उत्पाद (Seafood):


अमेरिका भारत के समुद्री उत्पादों का 40 प्रतिशत बाजार है, मुख्य रूप से झींगा। टैरिफ को उद्योग के लिए ‘डूम्सडे’ कहा जा रहा है, क्योंकि इन्वेंटरी बिक नहीं पाएगी और किसान अगली फसल की बुवाई रोक रहे हैं। इससे कुल 60,000 करोड़ रुपये के निर्यात पर असर पड़ेगा, और आंध्र प्रदेश तथा केरल जैसे तटीय क्षेत्रों में आर्थिक संकट गहरा सकता है।

5 रसायन (Chemicals):


अमेरिका एक प्रमुख बाजार है, और टैरिफ से निर्यात घट सकता है। हालांकि, विस्तृत आंकड़े सीमित हैं, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे रासायनिक उद्योग की वृद्धि दर प्रभावित होगी.

6 चमड़ा उद्योग (Leather Industry):


यह श्रम-गहन सेक्टर भी उच्च टैरिफ संवेदनशील है। अमेरिका में चमड़े के उत्पादों का निर्यात 1 अरब डॉलर से ज्यादा है। पतले मार्जिन के कारण कीमत बढ़ने से मांग घटेगी, जिससे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्रों में रोजगार प्रभावित होगा।

7 इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल कंपोनेंट्स (Electronics and Mobile Components):


हालांकि कुछ हिस्सों को छूट मिली है, लेकिन उच्च-मूल्य विनिर्माण सेक्टर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स पर प्रभाव पड़ेगा। वियतनाम और मैक्सिको जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे निवेश घट सकता है। मूडीज ने चेतावनी दी है कि यह सेक्टर भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा।

छूट वाले सेक्टर और राहत के पहलू

कुछ सेक्टरों को राहत मिली है, जैसे फार्मास्यूटिकल्स (3.6 अरब डॉलर निर्यात), स्मार्टफोन (7 अरब डॉलर), सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स के कुछ हिस्से, ऊर्जा और रिन्यूएबल एनर्जी। कंपनियां जैसे डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, फॉक्सकॉन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी ग्रुप लाभान्वित होंगी। ये रणनीतिक सेक्टर अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए इन्हें छूट दी गई।

कुल आर्थिक प्रभाव और जीडीपी पर असर

विश्लेषकों का अनुमान है कि प्रभावित सेक्टरों से अमेरिका को निर्यात 40-60 प्रतिशत तक घट सकता है, जो जीडीपी के 0.9 प्रतिशत को जोखिम में डाल देगा। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के अनुसार, इससे अर्थव्यवस्था में संकुचन हो सकता है। मूडीज ने कहा है कि मजबूत घरेलू मांग और सेवा क्षेत्र की लचीलापन से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन विनिर्माण निवेश घटेगा। गोल्डमैन सैक्स ने 40-50 आधार अंकों के उत्पादन संकुचन की चेतावनी दी है।

सरकारी और राजनीतिक प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से बातचीत का संकेत दिया है, और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत वैकल्पिक बाजारों की तलाश करेगा। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने इसे ‘आर्थिक ब्लैकमेल’ करार दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, चीन ने रूसी तेल खरीद का बचाव किया है, जबकि यूरोपीय संघ ट्रंप की नीतियों की आलोचना कर रहा है।

आगे की राह और सुझाव

भारत सरकार अमेरिका से छूट मांग रही है, लेकिन अगर असफल रही तो यूरोप, मध्य पूर्व और एशियाई बाजारों पर फोकस बढ़ाना होगा। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि कंपनियां विविधीकरण अपनाएं, उत्पादन को स्थानांतरित करें और घरेलू बाजार को मजबूत करें। लंबे समय में, यह टैरिफ भारत को आत्मनिर्भर बनाने का अवसर भी दे सकता है, लेकिन तत्काल नुकसान से बचना जरूरी है। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि स्टॉक मार्केट में गिरावट की आशंका है।

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