प्रयागराज में पत्रकार हत्याकांड: सुरक्षा का आश्वासन, सहायता का वादा, लेकिन पत्रकारिता जगत में सन्नाटा

प्रयागराज, 25 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर को झकझोर देने वाली एक सनसनीखेज घटना ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर भी गहरा आघात पहुंचाया है।

सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के सबसे पॉश इलाके में गुरुवार रात को धारदार हथियार से निर्मम हत्या कर दिए गए वरिष्ठ पत्रकार एल.एन. सिंह उर्फ पप्पू की मौत ने पूरे मीडिया बिरादरी को शोकाकुल कर दिया है।

घटना के अगले ही दिन शुक्रवार को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब ने आपात बैठक बुलाई, जहां पत्रकारों ने एकजुट होकर न्याय की मांग की। पुलिस कमिश्नर जोगिंदर कुमार ने पत्रकारों की सुरक्षा का पूर्ण आश्वासन दिया, जबकि जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने मृतक के परिवार को सरकारी योजनाओं के तहत अधिकतम सहायता और बच्चों की शिक्षा का जिम्मा लेने का वादा किया।

हालांकि, यह घटना पत्रकार सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ने वाली है, जहां सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों पत्रकारों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं?

घटना का क्रूर चेहरा: रात के अंधेरे में बेरहमी

प्रयागराज का सिविल लाइंस इलाका, जहां आलीशान बंगले और हरा-भरा पार्क शहर की चमक-दमक का प्रतीक हैं, वहां गुरुवार रात करीब 10 बजे एक ऐसी वारदात हुई जिसने सबको स्तब्ध कर दिया।

52 वर्षीय पत्रकार एल.एन. सिंह, जिन्हें प्यार से ‘पप्पू भाई’ कहा जाता था। अचानक दो संदिग्धों ने उन पर धारदार हथियार से कई वार किए।

चीखें गूंजीं, लेकिन आसपास के लोग घबरा गए। खून से लथपथ पप्पू भाई जमीन पर गिर पड़े। पुलिस ने किसी तरह उन्हें नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन देरी ने सब कुछ बदल दिया। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया कि हत्या चाकू जैसे हथियारों से की गई, जिसमें कम से कम 12 घाव थे।

यह दृश्य इतना भयावह था कि पुलिसकर्मी भी सिहर उठे।

एल.एन. सिंह का पत्रकारिता से गहरा नाता था। वे पिछले 25 वर्षों से स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय थे। भ्रष्टाचार, अपराध और सामाजिक मुद्दों पर उनकी खबरें अक्सर सुर्खियां बटोरतीं।

वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के सक्रिय सदस्य थे और युवा पत्रकारों के मेंटर के रूप में जाने जाते थे। उनके सहकर्मी बताते हैं कि पप्पू भाई की कलम कभी रुकी नहीं।

एक सहकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पप्पू भाई को धमकियां मिल रही थीं। वे कहते थे कि सच्चाई का साथ दूंगा, लेकिन शायद दुश्मनों ने मौका देख लिया।”पुलिस ने तत्काल एफआईआर दर्ज की और एसआईटी का गठन किया।

शुक्रवार सुबह ही मुख्य आरोपी को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी के पैर में तीन गोलियां लगीं, और उसके कब्जे से हथियार बरामद हुए।

पुलिस का दावा है कि यह हत्या पुरानी रंजिश से जुड़ी है, लेकिन पत्रकार बिरादरी को शक है कि इसमें बड़े सियासी या अपराधी गिरोह का हाथ हो सकता है। डीआईजी रैंक के अधिकारी ने बताया, “जांच तेजी से चल रही है। अन्य सहयोगियों को भी जल्द पकड़ा जाएगा।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब का आक्रोश: एकजुटता की मिसाल

घटना की खबर फैलते ही शुक्रवार सुबह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब के कार्यालय में हड़बड़ी मच गई। संयोजक वीरेंद्र पाठक ने तुरंत ऑनलाइन आपात बैठक बुलाई। 100 से अधिक पत्रकार जमा हो गए—वरिष्ठ, युवा, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सभी।

बैठक की शुरुआत ही शोक सभा से हुई। सभी ने दो मिनट का मौन रखा और पप्पू भाई को श्रद्धांजलि दी। वीरेंद्र पाठक ने भावुक स्वर में कहा, “पप्पू भाई हमारी आवाज थे। उनकी हत्या ने हमें चेतावनी दी है कि सच्चाई बोलना महंगा पड़ सकता है। लेकिन हम झुकेंगे नहीं। न्याय मिलना चाहिए, वरना पत्रकारिता का क्या होगा?

“बैठक में गहन चर्चा हुई। पत्रकारों ने चार प्रमुख मांगें तय कीं, जो शासन-प्रशासन के सामने रखी गईं:

1 निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई: हत्याकांड की गहन, निष्पक्ष जांच हो। दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में तुरंत सुनवाई कर सजा दिलाई जाए। एक पत्रकार ने कहा, “सामान्य अदालतों में मामले लटक जाते हैं। पीड़ित परिवार को इंसाफ का इंतजार नहीं करना चाहिए।”

2 परिवार को आर्थिक सहायता: मृतक के दो बच्चों (एक बेटा और एक बेटी) की शिक्षा और परिवार की आजीविका के लिए शासन से पर्याप्त आर्थिक मदद। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार पत्रकार कल्याण के लिए 5 लाख रुपये देती है, लेकिन पत्रकारों का कहना है कि यह राशि नाकाफी है। इसे कम से कम 20 लाख करने की मांग उठी।

3 घटना स्थल से अस्पताल तक देरी की जांच: हत्या के बाद पप्पू भाई को अस्पताल ले जाने में हुई आधे घंटे की देरी पर सवाल। क्या एम्बुलेंस व्यवस्था ठीक थी? जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो। एक युवा पत्रकार ने गुस्से में कहा, “अगर समय पर इलाज मिला होता, शायद बच जाते। यह लापरवाही है।”

4 पत्रकारों की सुरक्षा: पूरे जिले में पत्रकारों के लिए विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल। धमकी मिलने पर तुरंत पीसीआर तैनाती और ट्रेनिंग सेशन।

बैठक दो घंटे चली, और अंत में सभी ने ‘न्याय दो, न्याय दो’ के नारे लगाए।

अधिकारियों से मुलाकात: आश्वासनों की बौछार

बैठक के ठीक बाद क्लब का एक 40 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, वीरेंद्र पाठक की अगुवाई में, पुलिस कमिश्नर जोगिंदर कुमार और जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से मिला।

सिविल लाइंस स्थित कमिश्नरेट कार्यालय में यह मुलाकात हुई। पत्रकारों ने एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें सभी मांगें स्पष्ट रूप से उल्लिखित थीं।

कमिश्नर जोगिंदर कुमार ने कहा, “पत्रकार समाज के चौथे स्तंभ हैं। उनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हम जिले भर में पत्रकार हेल्पलाइन शुरू करेंगे और संवेदनशील मामलों में विशेष निगरानी रखेंगे।

आगे ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए खुफिया तंत्र को मजबूत किया जाएगा।” उन्होंने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना करने पर पत्रकारों को धन्यवाद दिया।

जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए कहा, “मृतक पत्रकार के बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्चा जिला प्रशासन उठाएगा। सरकारी योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति, पेंशन और आवास के तहत अधिकतम सहायता दी जाएगी।

हम शासन से अतिरिक्त फंड की मांग करेंगे।” डीएम ने बताया कि परिवार को तुरंत 5 लाख की अंतरिम सहायता दी जा चुकी है, और फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों की सक्रियता की सराहना की, लेकिन चेतावनी दी कि आश्वासन कागजों पर न रहें।

व्यापक प्रभाव: पत्रकारिता पर खतरे की घंटी

यह हत्या केवल एक घटना नहीं, बल्कि पत्रकारिता के लिए खतरे की घंटी है। भारत में पिछले पांच वर्षों में 20 से अधिक पत्रकारों की हत्या हुई है, ज्यादातर अपराध या सियासी रंजिश से। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अनुसार, उत्तर प्रदेश सबसे असुरक्षित राज्य है।

प्रयागराज जैसे शहर में, जहां गंगा-यमुना का संगम है, वहां पत्रकारों पर हमला नई बहस छेड़ रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मीडिया मालिकों को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए—बीमा, सुरक्षा ट्रेनिंग और कानूनी सहायता।

एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, “हम चौकीदार हैं, लेकिन खुद असुरक्षित हैं। केंद्र सरकार का पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो।”परिवार का दर्द और गहरा है।

पप्पू भाई की पत्नी सुनीता सिंह ने रोते हुए कहा, “वे घर लौटने वाले थे। बच्चे अब क्या करेंगे? सरकार मदद करे, लेकिन न्याय जरूरी है।

” उनके बेटे ने कहा, “पापा की तरह पत्रकार बनूंगा, लेकिन डर लगता है।

अगला कदम क्या?

पुलिस ने अब तक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।

सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और फॉरेंसिक रिपोर्ट से नया मोड़ आ सकता है।

कमिश्नर ने कहा, “48 घंटे में पूरा खुलासा होगा।” पत्रकारों ने अन्य गिरफ्तारियों की मांग की है।

न्याय की उम्मीद

प्रयागराज का यह हत्याकांड समाप्त नहीं हुआ। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लब ने राज्य स्तर पर विरोध मार्च की योजना बनाई है।

शोक सभा में सैकड़ों ने श्रद्धांजलि दी, लेकिन सवाल वही है—क्या सिस्टम बदलेगा?

पप्पू भाई की कलम चुप हो गई, लेकिन उनकी विरासत जीवित रहेगी।

पत्रकार बिरादरी एकजुट है, और न्याय की लड़ाई जारी रहेगी।

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