खेरसान -रुसी सैनिकों का सरेंडर Kherson- Russian soldiers surrenders -See Video
कीव, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को चार यूक्रेनी क्षेत्रों-लुहांस्क, डोनेस्क, खेरसान और जपोरीजिया के रूस में शामिल होने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। इसी के साथ यूक्रेन की करीब 18 प्रतिशत भूमि पर बसे इन चारों क्षेत्रों के रूस में शामिल होने की प्रक्रिया पूरी हो गई। रूसी कब्जे वाले खेरसान को छीनने के लिए यूक्रेनी सेना के हमले बढ़ गए हैं। बुधवार को दोनों सेनाओं के बीच भीषण टकराव हुआ। रूस युक्रेन युद्ध के ताजा हालात जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट…
रूसी और यूक्रेनी सेनाओं में टकराव बढ़ा
रूसी कब्जे वाले खेरसान को छीनने के लिए बुधवार को यूक्रेन ने रूसी बलों पर तीखे हमले किए। पता चला है कि खेरसान का सैन्य अस्पताल घायल रूसी सैनिकों से भर गया है और वहां पर दवाओं की कमी हो रही है। यूक्रेन के शहर बिला सेरक्वा में रूसी सेना के ड्रोन हमलों की खबर है।
ईरानी ड्रोन से हमले कर रहा रूस
ईरान के आत्मघाती ड्रोन के जरिये रूसी सेना के हमले हाल के दिनों में यूक्रेनी सेना के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। डोनेस्क के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर चुकी रूसी सेना ने बचे हुए क्षेत्र पर कब्जे के लिए हमले तेज कर दिए हैं। आठ कस्बे और गांव उसके निशाने पर हैं।
यूक्रेनी क्षेत्रों के रूस में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी
मालूम हो कि इसी सप्ताह रूसी संसद के दोनों सदनों ने चारों यूक्रेनी क्षेत्रों के रूस में विलय के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। इसके बाद संसद के पारित प्रस्ताव को राष्ट्रपति पुतिन की स्वीकृति के लिए भेजा गया था। प्रस्ताव पर पुतिन के हस्ताक्षर के बाद रूस सरकार की वेबसाइट पर चारों क्षेत्रों के रूस का हिस्सा बनने की अधिसूचना जारी हो गई है। इससे पहले 23 से 27 सितंबर तक हुए जनमत संग्रह में इन चारों क्षेत्रों के अधिसंख्य लोगों ने रूस के साथ जाने के लिए मतदान किया था।
यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर
इन चारों क्षेत्रों पर रूसी सेना ने सात महीने से जारी युद्ध में कब्जा किया था। बताया गया है कि इन क्षेत्रों की अधिसंख्य आबादी रूसी भाषा बोलने वाली है। पूर्वी यूक्रेन का यह क्षेत्र औद्योगिक और प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है। इसके रूस में शामिल होने का गंभीर असर यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर होने की आशंका है। इससे पहले 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर उसे इसी प्रक्रिया से मिला लिया था।
जनमत संग्रह पर कड़ा विरोध
यूक्रेन और उसके समर्थक पश्चिमी देशों ने सितंबर में हुए जनमत संग्रह पर कड़ा विरोध जताते हुए उसे पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया है। यूक्रेन ने रूस से अपनी भूमि वापस लेने तक युद्ध करने का एलान किया है। जबकि रूस ने कहा है कि लुहांस्क, डोनेस्क, खेरसान और जपोरीजिया पर होने वाला हमला रूस पर आक्रमण माना जाएगा। इस हमले का पूरी ताकत से जवाब दिया जाएगा। जवाबी हमला परमाणु हथियार से भी हो सकता है।
बातचीत की संभावना खारिज
यूक्रेन ने रूस के साथ बातचीत की संभावना को खारिज करते हुए नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की सदस्यता के लिए आवेदन की त्वरित प्रक्रिया अपनाने की घोषणा की है। नाटो अमेरिका की अगुआई वाला सैन्य संगठन है। यूक्रेन की नाटो में शामिल होने की इच्छा ही उस पर रूसी सेना के हमले का मुख्य कारण है।
ज़ेलेंस्की ने बुधवार को कहा
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने बुधवार को कहा है कि देश के दक्षिणी खेरसॉन इलाके में उन्होंने तीन गांवों को रूसी कब्जे से मुक्त करवा लिया है. नोवोवोस्क्रेसेन्सके (Novovoskresenske), नोवग्रेगोरिव्का (Novogrygorivka) और पेट्रोपेवलिवका (Petropavlivka) वो तीन गांव हां जिन्हें मुक्त करवाया गया है.
ज़ेलेंस्की ने बताया कि इन तीनों गांवों को पिछले 24 घंटों में मुक्त करवाया गया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यूक्रेन का जवाबी हमला जारी है.
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के चार प्रांतों का अपने देश में विलय करने वाले कानून पर हस्ताक्षर किए थे. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जोपोरिज्जिया क्षेत्रों पर कब्जा जमाने की शुक्रवार को घोषणा की थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से टेलीफोन पर बातचीत की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से टेलीफोन पर बातचीत की और इस बात पर बल दिया कि यूक्रेन संकट का कोई ‘‘सैन्य समाधान” नहीं हो सकता. उन्होंने यह रेखांकित भी किया कि परमाणु प्रतिष्ठानों को खतरे में डालने के दूरगामी और विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी और जेलेंस्की ने यूक्रेन में जारी युद्ध पर बातचीत की और इस दौरान एकबार फिर दोहराया कि वार्ता और कूटनीति के जरिए ही इसका समाधान निकल सकता है.
पीएमओ ने कहा
पीएमओ ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने इस लड़ाई को शीघ्र समाप्त करने और वार्ता व कूटनीति के मार्ग पर आगे बढ़ने की आवश्यकता के अपने आह्वान को दोहराया.”
इस बीच भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अमेरिका एवं अल्बानिया द्वारा पेश किए गए उस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा, जिसमें रूस के ‘‘अवैध जनमत संग्रह” और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है.
भारत तथा ब्राजील मतदान में शामिल नहीं हुए.
इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस यूक्रेन से अपने बलों को तत्काल वापस बुलाए। परिषद के 15 देशों को इस प्रस्ताव पर मतदान करना था, लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया, जिसके कारण प्रस्ताव पारित नहीं हो सका.
इस प्रस्ताव के समर्थन में 10 देशों ने मतदान किया और चार देश चीन, गाबोन, भारत तथा ब्राजील मतदान में शामिल नहीं हुए.