योगीराज – ब्राह्मण माँ बेटी को जिन्दा जलाया, आरोप योगी आदित्यनाथ के -पुलिस प्रशासन पर ,गिड़गिड़ता रहा परिवार, रहम न आया
कानपुर देहात के मैथा तहसील की मड़ौली पंचायत के चाहला गांव में कब्जा हटाने राजस्व व पुलिस विभाग के अफसर पहुंचे तो कृष्ण गोपाल का पूरा परिवार गिड़गिड़ाते हुए बोला, साहब टाइम तो आप दे सकते हो, हम गरीब लोगों को सताना चाह रहे हो, बहुत वर्षों से यहां रह रहे हैं।
कानपुर देहात के मैथा तहसील की मड़ौली पंचायत के चाहला गांव से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां ग्राम समाज की जमीन से कब्जा हटाने पहुंची पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के सामने ही झोपड़ी के अंदर मां-बेटी जिंदा जल गई। हालांकि दोनों को बचाने के प्रयास में गृहस्वामी व रुरा इंस्पेक्टर झुलस गए।
मां-बेटी की मौत से आक्रोशित लोगों ने हंगामा करते हुए लेखपाल पर कुल्हाड़ी से हमला कर घायल कर दिया। भीड़ का गुस्सा देख टीम के लोग अपने वाहनों मौके पर छोड़कर भाग गए। इसके बाद आक्रोशितों ने एसडीएम, रुरा इंस्पेक्टर, लेखपाल व तहसीलदार व गांव के 10 लोगों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज किए जाने की मांग करते हुए शवों को नहीं उठने दिया।
दरअसल, डीएम नेहा जैन सोमवार को अपने कार्यालय में जनसुवाई कर रही थीं। उसी दौरान डीएम कार्यालय पहुंचे मड़ौली गांव कुछ लोगों ने गांव के ही कृष्ण गोपाल दीक्षित उर्फ राघव की ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा करने की शिकायत की। डीएम ने शिकायती पत्र पर एसडीएम को मौके पर जाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक के अलावा राजस्व और रुरा इंस्पेक्टर के साथ मौके पर पहुंचे। राजस्व विभाग की टीम बुलडोजर से ग्राम समाज की जमीन से कृष्ण गोपाल का कब्जा हटना शुरू किया। उसी दौरान अचानक वहां रखी कृष्ण गोपाल की झोपड़ी में आग लग गई। उस वक्त घर में मौजूद कृ्ष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला (54) और बेटी शिवा (22) लपटों के बीच फंस गईं। उन्हें बचाने के प्रयास में कृष्ण गोपाल व रुरा इंस्पेक्टर दिनेश गौतम झुलस गए।
गिड़गिड़ता रहा परिवार
हालांकि इस दौरान कृष्ण गोपाल का कब्जा हटाने राजस्व व पुलिस विभाग के अफसर पहुंचे तो पूरा परिवार गिड़गिड़ाते हुए बोला, साहब टाइम तो आप दे सकते हो, हम गरीब लोगों को सताना चाह रहे हो, बहुत वर्षों से यहां रह रहे हैं। अफसर बोले यह सरकारी जमीन है। पगरीब आदमी का ऐसे नहीं सताव जात है यह कहकर कृष्ण गोपाल और उसका परिवार अफसरों के सामने गिड़गिड़ता रहा, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। अफसर कब्जा हटाते रहे और उनके सामने मां-बेटी जिंदा जल गईं।
गांव के फौजी पर एसओ व लेखपाल से मिलीभगत का आरोप
पत्नी और बेटी की मौत से दुखी कृष्ण गोपाल ने गांव में रहने वाले एक फौजी पर लेखपाल व एसओ से मिलीभगत कर कब्जा हटाने की कार्रवाई कराने का आरोप लगाया है। कृष्ण गोपाल का कहना है कि मामले की शिकायत व अपने और परिवार पर दर्ज एफआईआर को लेकर एसपी से बात करने गया था। एसपी बात सुनने की बजाय उसे मारने दौड़े और कहा भाग जाओ यहां से। डीएम से मिलने गया था, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई थी।
हम निकल पाए, मम्मी व बिट्टी जल गईं
शिवम ने रोते हुए कहा कि एसडीएम, लेखपाल समेत कई अफसर, रुरा इंस्पेक्टर व गांव के कई लोग घटना में शामिल हैं। कहा कि वह भी घटना के वक्त मां व बहन के साथ झोपड़ी में सो रहा था। आग लगने पर वह भागकर आ गया।
फिर मां व बहन को बचाने के लिए भीतर गया, लेकिन दोनों के शरीर का वजन ज्यादा था। इसलिए उन लोगों को उठाकर बाहर नहीं ला सका और दोनों की मौत हो गई। इस दौरान कब्जा हटाने आए लोग वहां से भाग गए। शिवम ने साजिश में डीएम समेत कई अफसरों के शामिल होने का भी आरोप लगाया है।
डीएम ने पहले थाने पहुंचकर घटना की जानकारी ली
मड़ौली गांव में मां-बेटी के जिंदा जलने के बाद गांव पहुंचीं डीएम नेहा जैन घटनास्थल तक पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा सकीं। पहले डीएम ने थाने में बैठकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति के दलबल के साथ मौके पर पहुंचने के बाद डीएम भी गांव पहुंचीं हालांकि वह घटनास्थल पर नहीं गई। इसके बाद परिजनों से बिना किसी संवाद के डीएम लौट गईं। फिर मंडलायुक्त व आईजी के मौके पर पहुंचने पर डीएम वहां पहुंची और पीड़ित परिवार से बात की।
तनाव के मद्देनजर कई थानों का फोर्स व पीएसी तैनात
कब्जा हटाने पहुंचे अफसरों के सामने मां-बेटी की जिंदा जलने की घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति बन गई। कोई अप्रिय घटना न हो इसलिए रूरा, शिवली, डेरापुर, रसूलाबाद, अकबरपुर, मंगलपुर थानों की फोर्स, एसओजी, क्यूआईटी समेत भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी को गांव में तैनात किया गया है।
खुफिया के लोग भी गांव के गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। प्रदेश के बड़े पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ एडीजी, आईजी, मंडलायुक्त मड़ौली पहुंचे। ये अफसर लगातार पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। सीओ अकबरपुर प्रभात कुमार फोर्स के साथ डेरा जमाए थे।
शासन ने तलब की रिपोर्ट
मड़ौली गांव में मां-बेटी के जिंदा जलने की मामले को शासन ने संज्ञान में लिया है। सूत्रों की मानें तो शासन ने डीएम नेहा जैन से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। डीजीपी भी एडीजी, आईजी व एसपी से पल-पल के घटनाक्रम की जानकारी लेते रहे।
फोरेंसिक टीम ने जुटाए साक्ष्य
मां-बेटी की मौत के बाद मौके पर पहुंची फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल की गहनता से जांच की। टीम ने घटनास्थल और आसपास से साक्ष्य जुटाए है। माना जा रहा है कि मंगलवार को भी फोरेंसिक एक्सपर्ट जांच के लिए मौके पर आ सकते हैं।
राज्यमंत्री समेत कई नेता पहुंचे सांत्वना देने
मां-बेटी की मौत की खबर पाकर राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी मौके पर पहुंचे। दोनों ने दुखी परिवार को सांत्वना दी। साथ ही घटना के बारे में जानकारी लेने के साथ ही हर संभव मदद का भरोसा दिया।
राज्यमंत्री ने मामले की निष्पक्ष जांच व सरकारी मदद दिलाए जाने की बात भी पीड़ित परिवार से कही है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आदेश पर राज्यमंत्री मौके पर पहुंची थी। इसके अलावा कई और नेता पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे थे।
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में जो कुछ हुआ, उसे हादसा नहीं हत्या ही कहेंगे। प्रशासन की टीम अतिक्रमण हटाने गई थी। इस दौरान आग लगने से 44 वर्षीय प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी 19 वर्षीय नेहा दीक्षित की जलकर मौत हो गई। इस मौत के मामले के बाद लीपापोती की कोशिश शुरू हो गई है। एसपी का कहना है कि दोनों ने खुद आग लगा ली थी।
अगर दोनों ने आग लगाई भी तो फिर अतिक्रमण हटाने के लिए मौजूद प्रशासनिक टीम ने उन्हें क्यों नहीं बचाया। गुनाहगार तो वे भी है, जो तमाशा देखते रहे। वीडियो बनाते रहे। दो जिंदगियां खाक होती रहीं। अब मामले पर राजनीति हो रही है, लेकिन इन दो मौतों के जिम्मेदार कौन हैं? प्रशासन की ओर से जांच के आदेश दिए हैं। जांच होगी। रिपोर्ट आएगी। हो सकती है, कुछ कार्रवाई भी हो।
दो जिंदगियों को वापस नहीं लाया जा सकता। अगर प्रशासन ने, वहां मौजूद लोगों ने थोरी सी संवेदनशीलता दिखाई होती तो शायद यह घटना नहीं घटती। प्रशासनिक अधिकारियों पर केस दर्ज कराए गए हैं।