खाने से पहले भोजन मंत्र (Prayers and Mantras before Meal) को जरूरी माना जाता है

Prayers and Mantras before Meal are considered necessary before eating.
Prayers and Mantras before Meal are considered necessary before eating.

दिन या रात में खाने से पहले भोजन मंत्र (Prayers and Mantras before Meal) को जरूरी माना जाता है. अन्न को शास्त्रों में पूजनीय माना गया है और शास्त्रों के अनुसार, भोजन ग्रहण करने से पहले अगर आप मां अन्नपूर्णा को धन्यवाद करते हैं तो इससे भोजन (Food) सामान्य से अधिक ऊर्जा देता और भोजन से होने वाले कई विकारों से भी बचाता है.

मन को शुद्ध करता है ऐसे खाना

शास्त्रों में भोजन करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर के अंदर कई तरह की ऊर्जाओं का प्रवेश होता है. भोजन हमारे शरीर के लिए ईंधन की तरह काम करता है. अगर शरीर को सही तरीके से भोजन प्राप्त नहीं होता, तो कई शारीरिक विकार जन्म ले सकते हैं. मंत्र का जाप हमारे मन को भी शुद्ध करता है.

शास्त्रों में बताए गए हैं ये नियम

शास्त्रों में भोजन को लेकर कई नियम बताए गए हैं. इसमें भोजन से पहले हाथ-पैर धोने, भोजन जमीन पर बैठकर करने और भोजन से पहले मंत्र का जाप करने जैसे कई नियम शामिल हैं.

शरीर को मिलती है ऊर्जा

ऐसा माना जाता है कि जब हम भोजन करना शुरू करते हैं तो उससे पहले भोजन मंत्र का उच्चारण जरूर करना चाहिए. भोजन से पूर्व मंत्र का उच्चारण ईश्वर को धन्यवाद देना होता है.

जानें क्या है सही तरीका

भोजन मंत्र के जाप का तरीका ये है कि एक-एक टुकड़े के साथ भगवान का नाम जपें और इसे भगवान के प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. मंत्रोच्चारण के बाद भोजन का सेवन आपके लिए और ज्यादा फायदेमंद होगा.

नकारात्मक ऊर्जाएं दूर रहेंगी

भोजन एक ऐसी प्रक्रिया है जो आस-पास की कई नकारात्मक ऊर्जाओं को भी उत्तेजित करती है, लेकिन अगर आप खाने से पहले भोजन मंत्र का उच्चारण करते हैं, तो नकारात्मक ऊर्जा दूर रहेगी. भोजन मंत्र के साथ भोजन का पहला ग्रास या टुकड़ा ईश्वर के नाम का निकालें.

खाने से पहले हाथ, पैर और मुंह धोएं और इसके बाद भोजन मंत्र का जाप करके ही भोजन करना शुरू करें.

इस मंत्र का जाप करें

ॐ सहनाववतु।

सह नौ भुनक्तु।

सह वीर्यं करवाव है।

तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषाव है।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।

ये है अर्थ

हे परमेश्वर!

हमारी साथ-साथ रक्षा करें.

हमारा साथ-साथ पालन करें.

हम दोनों को साथ-साथ पराक्रमी बनाएं.

हम दोनों का जो पढ़ा हुआ शास्त्र है, वो तेजस्वी हो.

हम गुरु और शिष्य एक दूसरे से द्वेष न करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. Reliable Media  इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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