जब सीजेआई की पीठ ने कहा- अधिकारी बहुत अहंकारी है…जानें पूरा मामला

District Judge Jalaun has been fined 21 thousand for troubling the worker mentally

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के वित्त सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) के खिलाफ एक कलेक्शन अमीन की सेवा नियमित करने और बकाया भुगतान से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया था.

यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जारी वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट की CJI एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि ऐसा लगता है कि अधिकारी बहुत अहंकारी हैं. CJI एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आप इस सबके लायक हैं. आप इस मामले में यहां क्या बहस कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को अब तक गिरफ्तारी का आदेश देना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लगता है कि और अधिक कड़ी सजा देने की आवश्यकता है.

हाईकोर्ट आपके साथ नरम रहा है. अपने आचरण को देखें. कोर्ट ने कहा कि आप एक कर्मचारी को उसके बकाया से वंचित कर रहे हैं. आपने आदेशों का पालन करने के लिए कुछ नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट आपको लेकर बहुत दयालु रहा है.

आपके पास अदालत के लिए कोई सम्मान नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1 नवंबर को कहा था कि अधिकारी अदालत को खेल का मैदान मान रहे हैं. अधिकारियों ने उस व्यक्ति को वेतन का बकाया देने से इनकार कर दिया है जिसे पहले सेवा के नियमितीकरण के सही दावे से वंचित कर दिया गया था.

अधिकारियों ने जानबूझकर कोर्ट को गुमराह किया है और याचिकाकर्ता को बकाया वेतन नहीं देने में अतिरिक्त महाधिवक्ता की ओर से दिए गए हलफनामे का उल्लंघन किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों के आचरण को निंदनीय बताया था.

कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) और तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट रहे इस समय यूपी के वित्त सचिव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के निर्देश दिए थे और 15 नवंबर को पेश होने के लिए कहा था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन राहत नहीं मिली।

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