Words like Tribe are Christian agenda-

tribhuwan singh
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ट्राइब जैसे शब्द क्रिस्चियन एजेंडा हैं-

Auther Dr.Tribhuwan Singh

यह सर्वविदित है कि ईसाइयों ने पिछले 500 वर्षों में मुsal मानों को बहुत पीछे छोड़ दिया।यद्यपि दोनों के धर्मग्रंथ एक ही जैसे हैं, एक ही नीतियों का अनुपालन करने वाले।

बर्बरता में दोनों का कोई मुकाबला नही।दस्युता में भी दोनो का कोई मुकाबला नहीं।दोनो की नीति रही है – गैर धर्मी लोगों की जर जोरू जमीन पर कब्जा।

तलवार के दम पर धर्म परिवर्तन।लेकिन एक मामले में ईसा_ई मुसुरमानों से आगे निकल गए।वे अपने असली कुरूप चेहरे को ढककर दूसरों को कुरूप प्रमाणित करने में वे विश्व मे सर्वश्रेष्ठ हैं।

याद होना चाहिए आपको इराक पर वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन के नाम पर उस देश का विनाश करना।ऐसे अनेको उद्धरण मिलेंगे।अफवाहबाजों के बाप हैं वे – विलियम जोंस और मैक्समुलर जैसे अफवाहबाज उनके सैंपल हैं।

भारत के कृषि शिल्प और वाणिज्य का उन्होंने विनाश किया और लगभग 45 ट्रिलियन पौंड की लूट किया।यह बात अभी उषा पटनायक ने बोला है। और इसकी पुष्टि भारत सरकार के विदेशमंत्री ने एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में किया है।

इसके अतिरिक्त पॉल बैरोच, अंगुस मैडिसन, शशि थरूर, और एस गुरुमूर्ति आदि आदि भी बोलते आये हैं।लेकिन आश्चर्य है कि भारत के किसी भी बुद्धजीवी पत्रकार, इतिहासकार, समाजशास्त्री और राजनीतिज्ञ ने आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया।

उन्होंने 1850 से 1900 के बीच लगभग 3 से 4 करोड़ हिंदुओं को भूंख और संकामक रोगों से मरने को विवश किया। इसके प्रमाण उप्लब्द्ग हैं।

लेकिन मैक्समुलर जैसे अफवाहबाज अकेडेमिया, और एम ए शेरिंग जैसे धर्मान्ध मिशनरी, और HH Risley जैसे रेसिस्ट अधिकारियों की मिली जुली तिकड़ी गिरोह ने अपने कुकृत्यों और अपराधों का भण्डा ब्राम्हण वाद और मनुवाद के सिर पर फोड़ा।

कालांतर में अम्बेडकर जैसे लोगों ने उन्ही के अफवाहों को आगे बढाने का कृत्य किया।मैक्समुलर द्वारा रचित #आर्यन_अफवाह 1885 में गजेटियर ऑफ इंडिया में छपती है। गजेटियर में छपने के अर्थ तो आप आज भी समझते हैं कि यही आधिकारिक और प्रमाणिक सत्य है।

उस अफवाहः को वैधानिकता प्रदान की गयी। भारत के बारे में पढ़ने लिखने वाले लोगों के लिए वह अफवाहः एक सत्य के रूप में स्थापित हो गयी। शिक्षा से विशेष तरह के जिस माइंड सेट की परिकल्पना मैकाले ने किया था वह पुष्पित पल्लवित होने लगी।

उसी अफवाह को आधार बनाकर 1901 में जनसंख्या कमिसनर HH Risley भारत के समुदायों की एक लिस्ट बनाता है। गजेटियर में #आर्यन घोसित तीन वर्णों ब्राम्हण, क्षत्रिय, और वैश्य को वह अपनी लिस्ट में सबसे ऊंचा स्थान देता है और उन्हें हाई कास्ट घोसित करता है।

बाकी अभी हिन्दू समुदायों को निन्म कास्ट।अपने इस दुष्कृत्य को वह मनुस्मृति के हवाले करता है।अर्थात वह लिखता है कि “मनुस्मृति हिंदुओं की बहुत श्रेष्ठ और आदर्श हिन्दुओ को चार कास्ट में ( वर्णों नहीं कास्ट ) में विभाजित किया गया है…

… परंतु …”, इसके बाद वह हिन्दू समाज मे कास्ट की उत्पत्ति के बारे में युरोपियन अफवाहों को वर्णित करते हुए हिन्दुओ में 2378 कास्ट्स की लिस्ट बनाता है।इससे दो रहस्यों का पर्दाफाश होता है।

अब चूंकि रिसले जैसे गोरी चमड़ी ने कास्ट की उत्पत्ति के लिए मनुषमृति को उत्तरदायी ठहराया तो अम्बेडकर जैसे विद्वानों ने उसे मनुस्मृति से वेरीफाई किये बिना अग्निदाह करने का कृत्य करना उचित समझा – #AnnihilationOfCaste और मनुस्मृति का इतना ही सम्बन्ध है।

तभी से सरकार द्वारा कास्ट सर्टिफिकेट प्राप्त करने के उपरांत मूर्ख पिछलग्गू जाति विहीन भारत की स्थापना करने में लगे हैं।दूसरा रहस्य जो इस कथानक में आगे आएगा वह यह है – कि विभिन्न राजघराने जो आज SC/ ST या OBC हैं, वे रिसले द्वारा बनायी गयी लिस्ट में तीन ऊंची कास्ट में चिन्हित न होकर नीचे वाली लिस्ट में चिन्हित किये गए।

इसीलिए वे राजघराना होते हुये भी SC/ST या OBC हैं।अब आइये ट्राइब की कथा में। ट्राइब शब्द का किसी देशी भाषा मे समानार्थी शब्द नही है।

कुछ लोग कहेंगे – कबीला। लेकिन यह पर्शियन या अरेबिक शब्द है। इसलिए मुझे इसका अर्थ नही पता। आपको पता हो तो बताइए।1911 की जनगणना में वनवासी और गिरिवासी हिंदुओं को हिन्दुओ की लिस्ट से अलग चिन्हित किया जाता है कि ये – #एनिमिस्ट हैं।

अब एनिमिस्ट का क्या अर्थ है यह वही जाने। आने वाले दिनों के वे इनके लिये कभी एनिमिस्ट और कभी ab original शब्द का प्रयोग करेंगे जो कि एक लैटिन शब्द है।

1935 में जब संविधान निर्माण का नाटक करते हुए गवर्नमेंट एक्ट ऑफ इंडिया 1935 का कानून ब्रिटिश संसद से निर्मित होगा तो 1936 में इन्हें शेडयूल्ड ट्राइब घोसित किया जाएगा। 1950 के संविधान में इन्हें जस का तस सम्मिलित कर लिया जाएगा।

उनको जो लाभ मिल रहा है मैं उसकी बात नही करता।● मैं उससे बड़ी और देश विरोधी कृत्य की बात करता हूँ। अभी यह खबर छपी है कि मणिपुर के किसी NIT में गणेश जी की मूर्ति को हटवाया जाय क्योंकि ईसाइयों की धार्मिक भावना आहत हो रही है।

देश के अंदर इससे बड़ी देश द्रोही घटना और क्या होगी?नागालैंड की ईसाई जनसंख्या का पिछले 1881 से 1981 के बीच हुए ईसाइयत में कितनी वृद्धि हुई, यह देखने वाली बात है।1881 में इनका प्रतिशत था .003%1981 में इनका प्रतिशत है 90.0%.नागालैंड ट्राइबल स्टेट है।

इन गहरी चालों की समझ क्या हमारे राजनीतिज्ञों और बेउरोक्रेसी को है कि संविधान में आरक्षण देने का उद्देश्य उनकी भलाई करना नहीं वरन ईसाइयत में धर्म परिवर्तन का संवैधानिक आधार तैयार करना था।

यदि 1935 का गवर्मेन्ट ऑफ इंडिया भारत के भलाई के लिए बना था तो 1935 के बाद लाखों भारतीयों ने आने वाले 12 वर्षो में नाहक ही अपनी जान गवायीं ?यदि वे आपके इतने ही हितचिंतक थे, तो पूरे स्वतंत्रता संग्राम और सेनानियों का कोई महत्व है क्या ?लेकिन भारत के पार्लियामेंट और बेरोक्रेसी में “एलियंस और स्टूपिड प्रोटागोनिस्ट्स” का ही बोल बाला रहा है पिछले 70 वर्षों में।उनसे अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं?

©त्रिभुवन सिंह।

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