परम आदरणीय जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से नहीं मिलेंगे अमित शाह – सनातन हिन्दू समाज में रोष

Amit Shah will not meet the most respected Jagadguru Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda - anger in Sanatan Hindu society
Amit Shah will not meet the most respected Jagadguru Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda - anger in Sanatan Hindu society

Prayagraj Maha Kumbh 2025: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह 27 जनवरी 2025 को पूर्वाह्न 11:25 बजे प्रयागराज पहुंचेंगे. इस दौरान उनका कार्यक्रम धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम होगा. गृह मंत्री की यात्रा में कई पवित्र स्थलों का दौरा और संतों से मुलाकातें शामिल हैं जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की जा रही हैं.

जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्री अमित शाह का पहला पड़ाव संगम नोज होगा जहां वे पवित्र गंगा-यमुना संगम में स्नान करेंगे. इसके बाद वे बड़े हनुमान जी मंदिर और अभयवट का दर्शन करेंगे. इस कार्यक्रम में वे धार्मिक गतिविधियों में भाग लेकर स्थानीय श्रद्धालुओं और साधु-संतों से संवाद करेंगे. संगम नोज पर उनका ये दौरा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है.

गृह मंत्री की जूना अखाड़ा में संतों से मुलाकात

संगम नोज के बाद गृह मंत्री जी जूना अखाड़ा में महाराज और अन्य संतों से मुलाकात करेंगे. यहां वे संत समाज के साथ विचार-विमर्श करेंगे और साथ में भोजन भी करेंगे. ये मुलाकात भारतीय संत समाज के साथ उनके संबंधों को और मजबूत करने का प्रतीक होगी. इसके साथ ही सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी जो समाज के लिए फायदेमंद हो सकती है.

गृह मंत्री जी का अगला पड़ाव गुरु शरणानंद जी का आश्रम होगा जहां वे गुरु शरणानंद जी और गोविंद गिरी जी महाराज से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में आध्यात्मिकता और समाज कल्याण के मुद्दों पर विचार किया जाएगा. इसके बाद वे श्रृंगेरी, पुरी और द्वारका के शंकराचार्यों से भेंट करेंगे जहां धार्मिक एकता और भारतीय संस्कृति को लेकर संवाद होगा. जानकारी के अनुसार अपना कार्यक्रम खत्म करने के बाद गृह मंत्री अमित शाह शाम 6:40 बजे प्रयागराज से दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.

शंकराचार्यों से संवाद

गृह मंत्री अमित शाह का अगला पड़ाव शृंगेरी, पुरी और द्वारका के शंकराचार्यों से भेंट होगा. इस दौरान भारतीय संस्कृति और धार्मिक एकता को लेकर संवाद किया जाएगा.

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से नहीं मिलेंगे अमित शाह

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से नहीं मिलेंगे अमित शाह,शृंगेरी, पुरी और द्वारका के शंकराचार्यों से भेंट होगा. कार्यक्रम में नहीं है जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का नाम.

गृह मंत्री के प्रयागराज दौरे का कार्यक्रम

27 जनवरी 2025

  • संगम स्नान और पूजन: सुबह 11:30 बजे
  • बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन: दोपहर 1 बजे
  • अक्षयवट दर्शन: दोपहर 1:20 बजे
  • जूना अखाड़ा में संतों से मुलाकात और भोजन: दोपहर 1:50 बजे
  • गुरु शरणानंद जी और गोविंद गिरी जी महाराज से भेंट
  • शृंगेरी, पुरी और द्वारका के शंकराचार्यों से संवाद
  • दिल्ली प्रस्थान: शाम 6:40 बजे

कार्यक्रम में नहीं है जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का नाम.

कौन हैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद?

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके उत्तराधिकारी बने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद प्रतापगढ़ जनपद के मूल निवासी हैं।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का जन्म प्रतापगढ़ के पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में 15 अगस्त 1969 को हुआ। इनके पिता पंडित राम सुमेर पांडेय और माता अनारा देवी अब इस दुनिया में नहीं हैं। इनका मूल नाम उमाशंकर है। इनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल में हुई। उसके बाद वह परिवार की सहमति पर नौ साल की अवस्था में गुजरात जाकर धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी रामचैतन्य के सानिध्य में गुरुकुल में संस्कृत शिक्षा ग्रहण करने लगे।

बाद में स्वामी स्वरूपानंद के सानिध्य में आने के बाद उनके ही साथ सनातन धर्म के संवर्धन में लग गए। पट्टी के ब्राह्मणपुर में रह रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बड़े भाई गिरिजा शंकर पांडेय कथावाचक हैं। गिरिजा शंकर के पुत्र जयराम पांडेय समेत अन्य भी भागवत व राम कथा कहते हैं। उमा शंकर शुरू से ही धर्मिक कार्यों में रुचि लिया करते थे। उनकी छह बहने हैं।

अविमुक्तेश्वरानंद जब से घर से गए, दोबारा यहां कदम नहीं रखा। वह अयोध्या से प्रयागराज जाते समय ग्रामीणों के अनुरोध के बाद भी अपने गांव नहीं गए। हाईवे पर ही लोगों से भेंट करते चले जाते रहे। जब वह स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के रूप में प्रख्यात होने लगे तो परिवार के साथ प्रतापगढ़ ही नहीं अपने प्रदेश व देश का गौरव बढ़ा। उनके उत्तराधिकारी बनने पर संपूर्ण सनातन हिन्दू समाज के लोग प्रसन्नता से आनंदित हो गए।

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