कार्तिक मास में उपवास से अग्निष्टोमयज्ञ के समान फल: महंत बलवीर गिरि
प्रयागराज कार्तिक मास में भगवान श्रीहरि जल में निवास करते हैं। इस माह में गंगा स्नान, दान, दीप दान, हवन, यज्ञ का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कार्तिक मास में उपवास रखकर भगवान के स्मरण से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल मिलता है।
इसके साथ ही सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। उक्त विचार मठ बाघम्बरी गददी के पीठाधीश्वर मंहत बलवीर गिरि महाराज ने संगम में दीपदान के पश्चात व्यक्त किया। महंत बलवीर गिरि के ने बताया कि दीपदान शरद पूर्णिमा से प्रारंभ होकर कार्तिक पूर्णिमा तक प्रतिदिन किया जाता है।
मान्यता है कि दीपदान से सिर्फ घर का ही नहीं जीवन का अंधेरा भी दूर होता है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर साधक के घर को धन-धान्य से भर देती हैं।