कोरोना के बाद प्रदूषण वाला लॉकडाउन, जहरीली हवा के कारण घर में रहने की सलाह

नई दिल्ली – वायु प्रदूषण के मद्देनजर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की सलाह दी है। दिल्ली में लगातार वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर स्तर पर रहने के बाद सीपीसीबी ने सरकारी और निजी कार्यालयों को राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्देश दिया है।

सीपीसीबी ने आदेश में कहा है कि समीक्षा बैठक में यह देखा गया कि 18 नवंबर तक रात के दौरान कम हवाओं के कारण प्रदूषकों के छितराने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी। सीपीसीबी ने कहा, ‘सरकारी और निजी कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी जाती है कि वह वाहन के उपयोग को कम से कम 30 प्रतिशत (घर से काम करके, कार-पूलिंग, बाहरी गतिविधियों को सीमित कर) तक कम करें।

सीपीसीबी ने कहा कि कार्यान्वयन एजेंसियों को उचित स्तर पर की गई कार्रवाइयों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और संबंधित समितियों को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए, जो वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और सीपीसीबी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

‘ सीपीसीबी ने कहा, ‘संबंधित एजेंसियों को जीआरएपी (श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना) के अनुसार आपातकालीन श्रेणी के तहत उपायों के कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक शाम चार बजे तक 471 दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे खराब एक्यूआई है, गुरुवार को यह 411 था।

एनसीआर का हाल शहर एक्यूआई फरीदाबाद 460 गाजियाबाद 486 ग्रेटर नोएडा 478 गुरुग्राम 448 नोएडा 488 (शुक्रवार शाम चार बजे तक की स्थिति) पराली से 35 प्रतिशत जानकारी के मुताबिक चार हजार से अधिक खेतों में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली के प्रदूषण में शुक्रवार को इसका योगदान 35 प्रतिशत रहा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कारक कण पीएम 2.5 की मात्रा का 24 घंटे का औसत रात में 300 का आंकड़ा पार कर गया और इसकी मात्रा शुक्रवार को शाम चार बजे 381 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग छह गुना अधिक रही।

पीएम 10 का स्तर 577 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। लंबी हो सकती है कोहरे की अवधि सीएसई के मुताबिक यह कोहरा जन स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति है।

यह स्थिति पिछले चार साल में सबसे लंबी अवधि की हो सकती है। अपेक्षाकृत तेज हवाओं की स्थानीय परिस्थितियों के बावजूद इस साल कोहरे की लंबी अवधि का कारण शहर में प्रदूषण नियंत्रण उपायों की कमी हो सकती है। सीएसई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 24 अक्तूबर से 8 नवंबर तक इस साल सर्दियों के शुरुआती चरण में दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 50 प्रतिशत रहा है।

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