Prayagraj:न्यूरोस्पाइन एवं किडनी रोग स्वास्थ्य कैंप का सफल आयोजन

Prayagraj Successful Organization Of Neurospine And Kidney Disease Health Camp.
Photo By Rakesh pandey

न्यूरोस्पाइन एवं किडनी रोग का निशुल्क स्वास्थ्य कैंप का सफल आयोजनअखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल,मैक्स अस्पताल नई दिल्लीऔर इनर व्हील क्लब आफ ईस्ट के संयुक्त प्रयास से

अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल,मैक्स अस्पताल नई दिल्लीऔर इनर व्हील क्लब आफ ईस्ट के संयुक्त प्रयास से विशाल स्वास्थ्य कैंप लगाया गया ,जिसमें नई दिल्ली से डॉक्टर वीरेंद्र कुमार न्यूरो स्पाइन सर्जरी विशेषज्ञ एवं मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार मौर्य ने निशुल्क मरीजों की जांचऔर परामर्श उपचार किया .

मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त डॉ शिखा दरबारी ने फीता काट कर कैंप का शुभारंभ किया और इस तरह के प्रयास को बहुत सार्थक बताया. व्यापारियों द्वारा प्रायोजित बहुत कम ही इस तरह के आयोजन उन्होंने देखे हैं. विशेष रूप से साकेत मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली से पधारे डॉक्टर व उनकी टीम की बहुत सराहना की ,और इसे वास्तव में सच्ची सेवा त्याग बताया .

न्यूरोस्पाइन एवं किडनी रोग स्वास्थ्य कैंप मुख्य अतिथि प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त डॉ शिखा दरबारी

विशिष्ट अतिथि के रूप में इनर व्हील क्लब की जिला चेयरपर्सन सुषमा अग्रवाल ने कहा कि उन्हें आज बहुत खुशी हो रही है कि केवल इनर व्हील क्लब ही नहीं व्यापारी भी इस तरह का सेवा भाव रखता है .

डॉ वीरेंद्र कुमार ने अध्यक्ष लालू मित्तल से कहा कि वह जब भी प्रयागराज उन्हें बुलाएंगे वह दोबारा फिर आ जाएंगे. यहां के लोगों का सेवा भाव देखकर अभिभूत हूं . डॉक्टर संतोष मौर्य ने आगे के उपचार के लिए स्वरूप रानी अस्पताल ओपीडी में आने के लिए कहा, और बताया कि शीघ्र ही मेडिकल कॉलेज में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारी की जा रही है .

जिला अध्यक्ष लालू मित्तल ने जानकारी देते हुए बताया कि न्यूरो स्पाइन के 55 रोगी एवं किडनी के 21 मरीज ने शिविर में निशुल्क जांच कराई और परामर्श लिया .

समाज सेवा नगर वासियों के स्वास्थ्य के लिए जनवरी में पुनः कैंप लगाए जाने की बात कही. अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल की महिला जिला अध्यक्ष रतना जायसवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया ,और कार्यक्रम का संचालन किया ।

प्रभारी विपिन गुप्ता, गंगा पार अध्यक्ष राजेंद्र केसरवानी पप्पू भैया,रमन गुप्ता जय हिंद,महामंत्री पवन जी श्रीवास्तव,वरिष्ठ उपाध्यक्ष पावस जायसवाल ,महिला महामंत्री अपूर्व , हुकुम केसरवानी ,कमलेश यादव ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुछ देकर,अंगवस्त्रम पहना कर,स्मृति चिन्ह प्रदान करके किया .

इस मौके पर संरक्षिका रंजना गुलाटी,वरिष्ठ उपाध्यक्ष,कामिनी जैन,श्वेता मित्तल, सविता अग्रवाल,मीनू गुप्ता,इनर व्हील क्लब ईस्ट की अध्यक्ष प्रतिमा श्रीवास्तव सचिन रेखा खरे,मंजूश्री उपस्थित रहे ।मैक्स अस्पताल नई दिल्ली की टेक्नीशियन टीम रजनीश चतुर्वेदी, पेथ काईड लैब सेल्स मैनेजर सृजन,नीरज,विमलेशआदि लोग प्रमुख रहे.

Prayagraj Successful Organization Of Neurospine And Kidney Disease

क्रोनिक किडनी रोग की मूल बातें

आपकी किडनी, प्रत्येक कंप्यूटर माउस के आकार की, हर 30 मिनट में आपके शरीर के सभी रक्त को फ़िल्टर करती है। वे अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। वे रक्तचाप को नियंत्रित करने, लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करने, आपकी हड्डियों को स्वस्थ रखने और जीवन के लिए आवश्यक रक्त रसायनों को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं।

ठीक से काम करने वाली किडनी अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं, हालांकि, सात वयस्कों में से एक से अधिक को क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) होने का अनुमान है।

सीकेडी एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुर्दे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और रक्त को उतनी अच्छी तरह फ़िल्टर नहीं कर पाते जितना उन्हें करना चाहिए। इसके कारण, रक्त से अतिरिक्त तरल पदार्थ और अपशिष्ट शरीर में रह जाते हैं और हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

सीकेडी में गंभीरता के विभिन्न स्तर होते हैं। यह आमतौर पर समय के साथ बदतर हो जाता है, हालांकि उपचार की प्रगति धीमी देखी गई है। यदि उपचार न किया जाए, तो सीकेडी गुर्दे की विफलता और प्रारंभिक हृदय रोग में बदल सकता है। जब किडनी काम करना बंद कर देती है तो जीवित रहने के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण से इलाज की जाने वाली किडनी विफलता को अंतिम चरण की गुर्दे की बीमारी (ईएसआरडी) कहा जाता है।

गुर्दे की बीमारी वाले सभी मरीज़ गुर्दे की विफलता की ओर नहीं बढ़ते हैं। सीकेडी को रोकने और गुर्दे की विफलता के जोखिम को कम करने में मदद करने के लिए, सीकेडी के जोखिम कारकों को नियंत्रित करें, वार्षिक परीक्षण कराएं, जीवनशैली में बदलाव करें, आवश्यकतानुसार दवा लें और अपनी स्वास्थ्य देखभाल टीम से नियमित रूप से मिलें।

सीकेडी वाले लोग बीमार महसूस नहीं कर सकते हैं या कोई लक्षण नहीं देख सकते हैं। यह निश्चित रूप से पता लगाने का एकमात्र तरीका है कि आपको सीकेडी है या नहीं, विशिष्ट रक्त और मूत्र परीक्षण है। इन परीक्षणों में रक्त में क्रिएटिनिन स्तर और मूत्र में प्रोटीन दोनों का माप शामिल है.

Prayagraj: निमोनिया से बचाव और उपचार हेतु कार्यशाला का आयोजन;CMO डॉक्टर आशु पांडेय ने चेतावनी दी -उपचार में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी

शेयर करने के लिए धन्यवाद्

You may also like...