Prayagraj News: प्रयागराज और भदोही के बीच बनेगी 30 किमी लंबी कछुआ सैंक्चुरी
Prayagraj News: प्रयागराज और भदोही के बीच बनेगी 30 किमी लंबी कछुआ सैंक्चुरी.
Prayagraj:(Reliable Media)भारतीय वन्यजीव संस्थान ने मार्च 2021 में वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया था। सर्वेक्षण में भदोही के बरीपोर परवार गांव से प्रयागराज के मेजा स्थित कोठरी गांव तक गंगा में 30 किमी क्षेत्र को कछुआ सैंक्चुरी के रूप में घोषित किया गया।
भारत में कछुओं की 29 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 14 सिर्फ गंगा में मिलती हैं। गंगा की सफाई में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कछुआ सेंच्युरी से जैव विविधता बढ़ेगी। गंगा का जल निर्मल होगा। गंगा की निर्मलता को बनाए रखने के लिए कछुओं की भूमिका अहम होती है।
अब तक केवल गंगा के एक छोर से दूसरे छोर की लंबाई ही तय की गई है। नदी के दोनों किनारों के क्षेत्र का ब्योरा अभी नहीं मिला है। उस क्षेत्र में बसे गांव, नदी किनारे रह रहे मछुआरे और अन्य गतिविधियों की समीक्षा चल रही है। चूंकि कछुए सारा समय पानी में ही नहीं रहते, वे मुख्य रूप से अंडे देने के लिए बाहर आते ही हैं।
भारत में कछुआ की 29 प्रजातियां
जिससे नदी के किनारे ऐसे क्षेत्र को चिन्हित किया जाना है, जहां उनके अनुरूप वातावरण तैयार किया जा सके। किसी भी सैंक्चुरी में संरक्षित जीव के साथ अन्य जीवों की सुरक्षा भी होती है। गंगा के इस क्षेत्र में कछुआ सैंक्चुरी बनने से न सिर्फ कछुए, बल्कि छोटी मछलियां, गंगा डॉल्फिन के साथ पूरी जल जीव शृंखला ही सुरक्षित हो जाती है।
प्रभागीय वनाधिकारी महावीर कौजलगी ने बताया कि गंगा के इस क्षेत्र के संरक्षित घोषित होते ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के सभी प्रावधान लागू हो गए हैं। कछुआ सैंक्चुरी बनने के बाद मेजा और नदी किनारे के गांवों में जागरूकता कैंप भी लगाए गए थे। इस पूरी प्रक्रिया में जनभागीदारी अनिवार्य है।
इस क्षेत्र में मछली पकड़ना, खनन, पेड़ों की कटाई जैसे कार्य रोकने पड़ेंगे। किसी के भी अधिकारों का हनन न हो और सर्वेक्षण कराकर पक्का बंदोबस्त करना बाकी है। आगे की प्रक्रिया राजस्व विभाग के जिम्मे है। लगभग दो साल से राजस्व विभाग की टीम सर्वेक्षण कर रही है। राजस्व विभाग रेवेन्यू मैप तैयार करेगा और जिलाधिकारी की अनुमति के बाद योजना को आगे बढ़ाया जाएगा।
सरकार इस पर अभी लगभग एक करोड़ 20 लाख रुपये खर्च करेगी। दूसरे चरण में चार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट हैं। गंगा में 50-50 हेक्टेयर के पैच में ड्रेजिंग कराकर दो मीटर गहराई में मिट्टी निकालकर छोटे बंधे और माउंट बनाए जाएंगे। सीसीटीवी कैमरे लगेंगे, वाच टावर व इंटरपटेशन सेंटर बनेगा। सेंच्युरी में लखनऊ के कुकरैल से जियोस्लिम्स हैमिलटोनी व पंगशुरा टेंटोरिया प्रजाति के कछुए लाए जाएंगे। इंडियन साफ्टशेल टर्टल, नैरो हेडेड टर्टल भी छोड़े जाएंगे।
कछुआ अभयारण्य उत्तर प्रदेश: कछुआ अभयारण्य भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह 500 हेक्टेयर का संरक्षित क्षेत्र है, जो लुप्तप्राय भारतीय घड़ियाल और दलदली मगरमच्छ सहित विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का घर है। यह अभयारण्य पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों, उभयचरों और मछलियों की कई प्रजातियों का घर है। यह अपनी समृद्ध वनस्पतियों के लिए भी जाना जाता है, जिसमें पौधों की 400 से अधिक प्रजातियाँ हैं, जिनमें पीपल, नीम और आम जैसे पेड़ शामिल हैं। अभयारण्य जलपक्षी और जलपक्षी की कई प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण घोंसला बनाने का स्थान है।
नमामि गंगे योजना के तहत गंगा में प्रयागराज भदोही व मीरजापुर की सीमा पर स्वीकृत कछुआ सेंच्युरी की बाधा दूर हो गई है। सेंच्युरी निर्माण को लेकर आपत्तियां नहीं आने से अब तीनों जिलों में गंगा का 30 किमी क्षेत्र कछुआ सेंच्युरी को लेकर ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में अब न मछली पकड़ी जा सकेगी और न ही बालू खनन का पट्टा हो सकेगा।
कछुआ अभयारण्य
नमामि गंगे योजना के तहत गंगा में प्रयागराज, भदोही व मीरजापुर की सीमा पर स्वीकृत कछुआ सेंच्युरी की बाधा दूर हो गई है। सेंच्युरी निर्माण को लेकर आपत्तियां नहीं आने से अब तीनों जिलों में गंगा का 30 किमी क्षेत्र कछुआ सेंच्युरी को लेकर ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में अब न मछली पकड़ी जा सकेगी और न ही बालू खनन का पट्टा हो सकेगा।
प्रयागराज में सिरसा के कोठारी गांव से भदोही के बारीपुर उपरहार गांव तक कछुआ सेंच्युरी का क्षेत्रफल है। इस प्रोजेक्ट को पूर्व में स्वीकृति मिल चुकी है। वर्ष 2020 में ही यह क्षेत्र सेंच्युरी के लिए नोटिफाई हुआ था मगर कोविड के चलते देरी हुई। पहले यह कछुआ सेंच्युरी वाराणसी में था, जो तीन वर्ष पर्व डिनोटिफाई हुआ था।
अब तेजी से कार्य शुरू है। इसके लिए शासन ने प्रयागराज के डीएम को नोडल अधिकारी बनाया है। भदोही व मीरजापुर के डीएम सदस्य सचिव तथा डीएफओ सचिव हुए हैं। प्रयागराज में यह सेंच्युरी लगभग 18 किमी व मीरजापुर व भदोही में छह-छह किमी होगी।
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