कारोबारी के इकलौते बेटे की किडनैपिंग के बाद हत्या:बदमाशों ने फोन करके कहा-15 लाख लेकर जंगल आओ; एनकाउंटर में 2 किडनैपर्स को मारी गोली
प्रयागराज के शंकरगढ़ में कारोबारी के 13 साल के इकलौते बेटे की किडनैप करके हत्या कर दी गई। रविवार सुबह बच्चे का शव चित्रकूट के जंगल में मिला है। शनिवार शाम को बच्चे के अपहरण के 5 घंटे बाद पिता के मोबाइल पर बदमाशों की एक कॉल आई। इसमें कहा था कि 15 लाख रुपए लेकर रीवा के डभऊरा के जंगल में आओ…नहीं तो तुम्हारे बेटे को गोली मार देंगे। पिता ने यह सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने नंबर सर्विलांस पर लगाकर जांच शुरू की। हालांकि, पुलिस किडनैपर्स तक पहुंचे इससे पहले ही सुबह 8 बजे के करीब बच्चे की लाश जंगल में मिल गई।
बच्चे का शव मिलने के करीब 4 घंटे बाद प्रयागराज कमिश्ननर रमित शर्मा ने प्रेस कॉफ्रेंस की। उन्होंने कहा कि बच्चे की किडनैपिंग करने वाले बदमाशों से शंकरगढ़ में पुलिस की मुठभेड़ हुई। इसमें दो किडनैपर्स सुखदेव और संजय को गोली लगी है। वहीं, एनकाउंटर में एक सिपाही को भी बुलेट लगी है। कमिश्ननर ने बताया कि आरोपी बच्चे के परिवार को जानते थे। आरोपी सुखदेव का भाई लोकनाथ बच्चे के पिता का ट्रक चलाता था।
प्रयागराज जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी. दूर शकंरगढ़ में पुष्पराज केसरवानी उर्फ विक्की परिवार के रहते हैं। उनका ट्रांसपोर्ट का कारोबार है। परिवार में पत्नी के अलावा 13 साल का बेटा शुभ 11 साल की बेटी शुभी है। परिजनों के मुताबिक, शनिवार शाम 4 बजे बेटा शुभ शंकरगढ़ में ही दुकान के आसपास खेल रहा था। यहां से अचानक वह लापता हो गया। काफी देर जब नजर नहीं आया तो परिवार ने आसपास तलाश किया। लेकिन बच्चे का कहीं कुछ पता नहीं चल सका।
5 घंटे बाद आई फिरौती की कॉल
पिता पुष्पराज ने शंकरगढ़ पुलिस को शाम को बेटे की गुमशुदगी की तहरीर दी। पुलिस से शिकायत के करीब 5 घंटे बाद यानी रात 9 बजे पिता के मोबाइल पर एक फोन आया। इसमें कहा गया कि 15 लाख लेकर जंगल में आओ, नहीं तो बेटे को गोली मार देंगे। फिरौती का फोन आने की जानकारी मिलते ही घर में कोहराम मच गया। पिता ने रिश्तेदारों को इसकी जानकारी दी। फिर शंकरगढ़ पुलिस को फिरौती के फोन के बारे में बताया।
इसके बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर ली। मामला किडनैपिंग से जुड़ने के बाद पुलिस हरकत में आई। जिस नंबर से फिरौती की कॉल आई उसे सर्विलांस में लगाया गया। डीसीपी यमुनानगर अभिनव त्यागी ने परिजनों से डिटेल्स ली। मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस टीम को रवाना किया गया। लेकिन, कुछ ठोस हाथ नहीं आया।
सुबह 8 बजे मिली लाश, हाथ-पैर बांधे थे, मुंह में कपड़ा ठूंसा था
उधर, रविवार सुबह अरवारा मोड़ के जंगल में एक बच्चे की लाश मिली। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची तो शव की शिनाख्त शुभ के तौर पर की गई। जिस जंगल में लाश मिली है वह झांसी-मिर्जापुर नेशनल हाइवे से करीब 250 मीटर दूर है। शंकरगढ़ यानी बच्चे के घर से करीब 40 किमी. दूर है।
बच्चे की लाश का हाथ-पैर बांधा हुआ था। मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ था। बरगढ़ थाना प्रभारी अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच के आधार पर ऐसा लग रहा है कि सिर पर भारी पत्थर मारकर बच्चे की हत्या की गई है। सिर और कान में गंभीर चोट के निशान है। लाश को कर्वी में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट के बाद हत्या कैसे की गई यह स्पष्ट हो जाएगा।
रोते-रोते बेहोश हो रही मां, कह रही-15 लाख दिए होते तो बेटा बच जाता
इकलौते बेटे की हत्या के बाद पुष्पराज केसरवानी और बच्चे की मां बेसुध हैं। मां रो-रोकर बेहोश हो जा रहीं हैं। वह बार-बार पति से कह रही हैं कि हमने कहा था रुपए दे दो। मेरे कलेजे के टुकड़े को कुछ नहीं होना चाहिए। आप नहीं माने। रुपए दे दिए होते तो मेला लाल बच जाता। परिवार और रिश्तेदार पुष्पराज और उसकी पत्नी को संभालने में लगे हैं। शुभ शंकरगढ़ के ही एक स्कूल में कक्षा 8 का छात्र था।
पुलिस की वर्किंग पर उठे सवाल?
किडनैपिंग के बाद बच्चे की हत्या के बाद पुलिस में हड़कंप मच गया। इस पूरे मामले में पुलिस की वर्किंग पर बच्चे का परिवार और रिश्तेदार सवाल उठा रहे हैं। परिवार का कहना है कि पुलिस ने गुमशुदगी पर एक्शन नहीं लिया। अगर उसी वक्त पुलिस एक्टिव हो जाती तो बच्चे की हत्या को रोका जा सकता था। सिर्फ यही नहीं, फिरौती की कॉल का पता चलने के बाद पुलिस एक्टिव हुई। उसमें भी गोपनीय तरीके से जांच नहीं की। परिजनों ने आशंका जताई कि किडनैपर्स को इस बात का अंदाजा हो गया था कि पुलिस को सूचना मिल गई है। इसलिए, पकड़े जाने के डर से बच्चे की हत्या कर दी गई।
प्रयागराज पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने बताया कि पुष्पराज केसरवानी के बेटे शुभ की हत्या सुखदेव, संजय ने की है। लोकनाथ, पुष्पराज का ट्रक चलाता है। सुखदेव लोकनाथ का भाई है और उसके घर आना-जाना था। शुभ, लोकनाथ और सुखदेव को जानता था। शनिवार की शाम 4 बजे शुभ दुकान पर खेल रहा था। तभी सुखदेव अपने दोस्त संजय के साथ पुष्पराज की दुकान पर गया। वहां शुभ से कहा कि चलो तुम्हें जंगल में खरगोश दिखाते हैं। शुभ चूंकि सुखदेव को जानता था इसलिए वह उसके झांसे में आ गया और उसके साथ चला गया।
सुखदेव ने पुष्पराज के फोन पर करीब पौने 9 बजे कॉल किया। कॉल रिसीव नहीं हुई। करीब 15 मिनट के बाद पुष्पराज ने अननोन नंबर से मिस्ड कॉल देखी तो कॉल बैक किया। कॉल रिसीव करने वाले ने बताया कि तुम्हारे बेटे का अपहरण कर लिया है। 15 लाख रुपए लेकर बरगढ़ के जंगल में आ जाओ। हां, कोई होशियारी मत करना। पुलिस को सूचना दी तो तुम्हारे बेटे की हत्या कर दी जाएगी।
इसके बाद पुष्पराज ने शंकरगढ़ पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने उस नंबर पर कॉल करना शुरू किया तो बंद मिला। इसके बाद पुष्पराज के पास जिस नंबर से कॉल आई थी उसके वाट्सएप पर देखा तो सुखदेव की फोटो मिली, जिसे पुष्पराज ने पहचान लिया। इसके बाद नंबरों को सर्विलांस पर लगाया गया।
कमिश्नर शर्मा ने दावा किया कि सुखदेव ने संजय और गणेश के साथ मिलकर इस पूरे अपहरण की साजिश रची थी। पुलिस ने नंबर्स को सर्विलांस पर लगाया तो तीसरे व्यक्ति गणेश का पता चला। गणेश सुखदेव का भतीजा है। गणेश को पुलिस ने जब उठाया तो उसी ने बताया कि शुभ को बरगढ़ के जंगल में ले जाकर उसकी हत्या कर दी गई है।
सुखदेव और संजय शंकरगढ़ के जंगलों में छिपे हैं। इसके बाद कई थानों की फोर्स और एसओजी की टीम ने सुखदेव और संजय की शंकरगढ़ के जंगल में घेरेबंदी की तो दोनों ने पुलिस टीम पर फायर कर दिया। दोनों के पैर में गोली लगी है। फायरिंग में सिपाही सागर घायल हो गया है। सभी को स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। गणेश, सुखदेव और संजय से अपहरण के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए पूछताछ चल रही है। अभी अपहरण के पीछे की वजह साफ नहीं है। पुलिस अभी यह भी बताने में नाकाम रही कि अपहरण के पीछे क्या कोई पुरानी रंजिश है या रुपयों का लालच।