क्या जानते हो आज युक्रेन से आ रहे भारत के छात्रों को पोलेंड बिना वीजा के क्यो आने दे रहा अपने देशमे

Do you know why Poland is allowing students of India coming from Ukraine to come to their country without visa today

1989 में जब पोलैंड रूस से अलग हुआ तो यहां के यंलोगों ने आभार जताने के लिए पोलैंड की राजधानी में जाम साहेब के नाम पर एक चौक का नाम रखा.

पिछले कुछ दिनों से आपने पोलैंड का नाम खूब सुना होगा. कुछ लोगों ने इस देश की यात्रा भी की होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पोलैंड की राजधानी वॉरसॉ में जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह के नाम पर एक चौक क्यों समर्पित किया गया है?

ये कहानी भारत के वसुधैव कुटुंबकम की फिलॉस्फी से जुड़ी है. बात दूसरे विश्वयुद्ध की है, जब 1939 में जर्मनी और रूस की सेना ने पोलैंड पर कब्जा कर लिया. इस युद्ध में अपने देश को बचाने के लिए पोलैंड के हजारों सैनिक मारे गए और उनके बच्चे अनाथ हो गए.

1941 तक ये बच्चे पोलैंड के शिविरों में रहते रहे, लेकिन इसके बाद रूस ने बच्चों को वहां से भगाना शुरू कर दिया. तब 600 से ज्यादा बच्चे अकेले या अपनी मां के साथ एक नाव पर सवार होकर जान बचाने के लिए निकले थे, लेकिन दर्जनों देशों ने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया. जब उनकी नाव मुंबई पहुंची तो जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह ने दरियादिली दिखाते हुए उन्हें शरण दी. तब भारत गुलाम था और अंग्रेजों ने भी बच्चों को आश्रय देने से इनकार कर दिया था.

 दूसरे विश्व युद्ध के समय , पोलेंड पूरी तरह तबाह हो गया था , सिर्फ महिलाएं और बच्चे बचे थे बाकी सब वहां के पुरुष युद्ध मे मारे गए थे , पोलेंड की स्त्रियों ने पोलेंड छोड़ दिया क्योंकि वहां उनकी इज्जत को खतरा था , तो बचे खुचे लोग और बाकी सब महिलाए व बच्चे से भरा जहाज लेकर निकल गए , लेकिन किसी भी देश ने उनको शरण नहीं दी ,.

फिर यह जहाज भारत की तरफ आया वहां गुजरात के जामनगर के तट पर जहाज़ रुका , तब वहां के राजा जाम दिग्विजयसिंह जाडेजा ने उनकी दिन-हीन हालत देखकर उन्हे आश्रय दिया

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जानते हो ये पोलेंड वाले जाम नगर के महाराजा दिग्विजयसिंह जाडेजा के नामपर क्यों शपथ ले रहे है ?

 न केवल आश्रय दिया अपितु उनके बच्चों को आर्मी की ट्रेनिग दी , उनको पढ़ाया लिखाया  ,बाद मे उन्हें हथियार देकर पोलेंड भेजा जहाँ उन्होंने जामनगर में मिली आर्मी की ट्रेनिग से देश को पुनः स्थापित किया , आज भी पोलेंड के लोग उन्हें अन्नदाता मानते है , उनके संविधान के अनुसार जाम दिग्विजयसिंह उनके लिए ईश्वर के समान हे.

इसीलिए उनको साक्षी मानकर आज भी वहां के नेता संसद में शपथ लेते है ,  यदि भारत मे दिग्विजयसिंहजी का अपमान किया जाए तो यहां की कानून व्यवस्था में सजा का कोई प्रावधान नही लेकिन यही भूल पोलेंड में करने पर तोप के मुँह पर बांधकर उड़ा दिया जाता है ।।

आज भी पोलेंड जाम साहब के उस कर्म को नहीं भूला,इसलिए आज भारत के लोगो को बिना वीजा के आने दे रहा है उनकी सभी प्रकार से मदद कर रहा है ।। 

क्या भारत के इतिहास की पुस्तकों में कभी पढ़ाया गया दिग्वजसिंहजी को ?? यदि कोई पोलेंड का नागरिक भारतीय को पूछ भी ले कि क्या आप जामनगर के महाराजा दिग्वजसिंहजी को जानते हो तो हमारे युक्रेन में डॉक्टर की पढ़ाई करने गए भारतीय छात्र कहेगे No , we don’t know who they were? हाय रे अभागों…तुम्हें सहेजना भी नहीं आता….

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