कंगना रणौत के आजादी पर दिए बयान

बवाल: कंगना रणौत के आजादी पर दिए बयान से बीजेपी ने किया किनारा, गौरव भाटिया ने कहा- हम सहमत नहीं हैं

कंगना रणौत ने जबसे देश की आजादी को लेकर बयान दिया है तबसे वो लगातार चर्चा में हैं। राजस्थान में कंगना ने खिलाफ कई थानों में शिकायत दर्ज करवाई गई तो वहीं लगातार सोशल मीडिया पर उनसे पद्मश्री अवॉर्ड वापस लेने की मांग की जा रही है।

दरअसल एक कार्यक्रम के दौरान कंगना ने ये बयान दिया था कि जो आजादी हमें मिली थी वो सिर्फ एक भीख थी, असली आजादी तो हमें साल 2014 में मिली है। कंगना रणौत के इस बयान के बाद जमकर हंगामा हुआ।

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट

उनके बयान के बाद कांग्रेस ने उनसे पद्मश्री वापस लेने तक की मांग की है। लेकिन अब अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने कंगना रणौत के बयान से पल्ला झाड़ते हुए ये साफ किया कि वो कंगना द्वारा दिए गए इस बयान से सहमत नहीं हैं।

बीजेपी प्रवक्ता और वकील गौरव भाटिया ने एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान भी ये साफ किया कि कंगना के जिस बयान पर चर्चा हो रही है वो उससे बिलकुल सहमत नहीं हैं।  

कंगना के बयान पर जताई असहमति

भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कंगना ने बयान पर जवाब देते हुए कहा, ‘कंगना रणौत का जो बयान है हम उससे सहमत नहीं है। क्योंकि लाखों लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है देश को आजादी दिलाने के लिए। बीजेपी भारत की वो पार्टी है कि अगर राष्ट्रवाद की बात हो तो सबसे पहले सबके दिल में भारतीय जनता पार्टी का नाम आता है। चाहे कोई भी व्यक्ति  हो इसका ये मतलब नहीं है कि हर बात का हम समर्थन करें या फिर उसका विरोध करते रहें’।

कंगना का निजी बयान है

गौरव भाटिया ने आगे कहा, ‘ये बयान कंगना रणौत द्वारा दिया गया है और उनका निजी बयान है, इसलिए सवाल उनसे पूछे जाने चाहिए। ये जरूरी नहीं है कि कोई भी व्यक्ति अगर कुछ बयान दे तो भाजपा उस पर पलटकर बयान दें।

कंगना ने रखा था अपना पक्ष

आजादी को भीख बताकर ट्रोल हो रहीं कंगना रणौत ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। कंगना ने कहा है कि वह अपना पद्मश्री सम्मान लौटा देंगी अगर कोई उन्हें यह बताए कि 1947 में क्या हुआ था। कंगना रणौत ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर सभी ट्रोल करने वालों को जवाब दिया है। दरअसल कंगना ने अपने विवादित बयान में कहा था कि भारत को 2014 में आजादी मिली थी, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई थी। 1947 में मिली आजादी भीख थी।

कंगना ने लिखा मेरी मदद करें

कंगना ने लिखा है, इंटरव्यू में मैंने सब कुछ बहुत स्पष्ट कर दिया था। 1857 में स्वतंत्रता के लिए पहली सामूहिक लड़ाई सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी जैसे महान लोगों के बलिदान के साथ शुरू हुई। 1857 की लड़ाई मुझे पता है, लेकिन 1947 में कौन सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है। अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी। कृपया इसमें मेरी मदद करें।

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