Prayagraj News: निकाह का झांसा,देकर युवती से दुष्कर्म,Marriage Hoax

Married accuses husband of having unnatural relations and rape on brother-in-law

निकाह का झांसा (marriage hoax ) देकर युवती से दुष्कर्म, आरोपी तालिब गिरफ्तार.तालिब से उसकी कई साल से जान पहचान थी।

करेली में रहने वाली युवती निकाह के नाम पर तालिब से छली गई। प्रेमी निकाह का झांसा marriage hoax देकर उससे दुष्कर्म करता रहा और बाद में मुकर गया। शिकायत की बात कहने पर गालीगलौज व धमकी दी। जहरीला पदार्थ भी खिलाकर मारने की कोशिश की। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

करेली निवासी पीड़िता हाईस्कूल तक पढ़ाई करने के बाद घर पर ही रहती है। आरोप है कि अटाला के रहने वाले तालिब से उसकी कई साल से जान पहचान थी। धीरे-धीरे दोनों में प्रेम संबंध हो गए। इसके बाद उसने निकाह का आश्वासन दिया और उससे शारीरिक संबंध बनाए। होटल में भी ले गया और दुष्कर्म किया। गर्भवती होने पर उसे दवा खिला दी जिससे उसका गर्भपात हो गया।

निकाह का झांसा ;Marriage Hoax

इसके बाद निकाह से मुकर गया और विरोध पर गालीगलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता ने परिजनों को बताया तो उनके होश उड़ गए और फिर वह उसे लेकर शुक्रवार को थाने पहुंचे और मुकदमा दर्ज कराया। करेली इंस्पेक्टर अमरनाथ राय ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया हैै। वह एक मॉल में काम करता था।

Prayagraj: भाजपा-बसपा की सरकार में मंत्री रहे राकेशधर, दस साल चली सुनवाई, 33 गवाह और 108 पन्ने का

पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी को आय से अधिक संपत्ति मामले में तीन साल के कारावास और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह फैसला इलाहाबाद जिला न्यायालय की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाया था। विशेष अदालत ने 108 पन्नों  पूर्व मंत्री के खिलाफ फैसला दि

भाजपा और बसपा सरकार में मंत्री रहे राकेश धर त्रिपाठी के खिलाफ इलाहाबाद जिला न्यायालय की एमपी एमएलए की विशेष अदालत में विचाराधीन आय से अधिक संपत्ति के मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाया गया। 18 जून 2013 को सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज परिक्षेत्र के निरीक्षक राम सुभग राम ने उनके खिलाफ मुट्ठीगंज थाने में आय से अधिक संपत्ति मामले में मुकदमा पंजीकृत कराया था। आरोप लगाया गया था कि बसपा सरकार में मंत्री रहते अकूत संपत्ति अर्जित की थी।

33 गवाह और 108 पन्ने के फैसले तक का सफर

भाजपा, बसपा की सरकार में मंत्री रहे राकेश धर त्रिपाठी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले में कई रोचक मोड़ आए। उनकी पत्नी व बेटी की भी आय जोड़ी गई। 33 गवाह और 108 पन्ने के फैसले तक का सफर….

18 जून 2013: सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक राम सुभाग राम ने प्रयागराज के मुट्ठीगंज थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करवाई।

14 मार्च 2016: राज्यपाल द्वारा अभियोजन चलाने की स्वीकृति मिलने के बाद दौरान 148 पर्चे के साथ विवेचक भारत रत्न वार्ष्णेय ने आरोप पत्र विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) वाराणसी की अदालत में प्रेषित किया।

12 अप्रैल 2016 : वाराणसी अदालत में आरोप पत्र का भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 (1) ई सपठित धारा 13 (2) के तहत संज्ञान लिया। इसके बाद मामला वाराणसी से इलाहाबाद जिला न्यायालय की एमपी एमएलए की विशेष अदालत में स्थानांतरित हो गया।

30 जुलाई 2021 : इलाहाबाद जिला न्यायालय की एमपी एमएलए की विशेष अदालत ने आरोप सृजित किया, जिसे पूर्व मंत्री की ओर से इन्कार किया गया फिर विचारण की कार्यवाही शुरू हुई। जो दस साल चली, इस दौरान अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक वीरेंद्र कुमार सिंह, विकास गुप्ता, एडीजीसी क्रिमिनल सुशील कुमार वैश्य ने 26 गवाह और पूर्व मंत्री के वकील केशरी चंद्र द्विवेदी ने पांच गवाह पेश किए।

22 दिसंबर 2022 : विचारण और सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत में फैसला सुनने की तारीख नियत की, लेकिन वह 31 जनवरी 2023 के टल गया।

31 जनवरी 2023 : फैसला सुनाने के ऐन मौके पर अदालत ने साक्ष्यों में पूर्व मंत्री की पत्नी प्रमिला और बेटी पल्लवी की आय को जोड़ कर विचार किया तो उन्हें भी गवाही के लिए तलब कर लिया और फिर फैसला टल गया।

22 दिसंबर 2023 : पत्नी प्रमिला और बेटी पल्लवी की गवाही के बाद शुक्रवार को एमपी एमएलए कोर्ट ने पूर्व मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में 108 पन्ने का फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषी करार देते हुए तीन साल के कठोर कारावास और दस लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।

क्या कहता है है कानून

जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8(3) के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो वह अयोग्य हो जाएगा। जेल से रिहा होने के छह साल बाद तक वह जनप्रतिनिधि बनने के लिए अयोग्य रहेगा।

इसकी उपधारा 8(4) में प्रावधान है कि दोषी ठहराए जाने के तीन माह तक किसी जनप्रतिनिधि को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है। और दोषी ठहराए गए सांसद या विधायक ने कोर्ट के निर्णय को इन दौरान यदि ऊपरी अदालत में चुनौती दी है तो वहां मामले की सुनवाई पूरी होने तक उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।या था।

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